मैं तरस रहा था
तू देखे मेरी तरफ
और मुस्कुरा दे, हौले से
मैं तेरी इच्छा पे नही जाता
कि, तुमने क्यू मुस्कुराया है ?
पर, इतना जरूर जानता हूं
कि, तुमने मुस्कुराया तो है ।
तेरी ये शोख अदा,
इठलाना बुत सा खडे होना,
दांतो में उंगली चबाना
नजरों की चपलता मैं हैरान हूं,
ये मामूली है या गैर मामूली ?
मैं ये तो नही जानता पर,
इतना जरूर जानता हूं कि,
तेरी आंखों में कुछ तो है
आंखों के सिवा ।
आकांक्षाओं का विशाल समुद्र
किनारों से अठखेलियां करता हुआ
या मैं,
तेरी ओर ताकता हुआ ?
मैं ये तो नही जानता पर,
इतना जरूर जानता हूं कि,
तुमने मुझे देखा है ।
पहली कविता नही है यह
ऐसे कई लिख चुका हूं,
तुम्हारे खातिर
पेश है एक पुष्प मेरी बगिया का
तुम्हे ये पसंद आया,
या नही आया?
मैं ये तो नही जानता पर,
इतना जरूर जानता हूं कि,
तुम किसी से मेरा शिकायत नही करोगी ।
कुछ लिखने की तमन्ना हो तो ठीक
नही तो सिर्फ अपना पता लिखा
खाली लिफाफा ही सहीं
पत्र का इंतजार रहेगा मुझे
तुम प्रेषक बनोगी या नहीं ?
मैं ये तो नही जानता पर,
इतना जरूर जानता हूं कि,
मैने ये तुम्हारे लिए ही लिखा है ।
संजीव तिवारी
कुछ हल्का फुल्का :-
मैनें यह प्रेम पत्र 1995 में मेरी एक संभावित प्रेमिका को लिखा था। संभावित इसलिये क्योंकि उन दिनों नौकरी के आवेदन बनाने के साथ साथ यह प्रयास भी एकाध दो जगह कर चुका था। तो हां उस संभावित प्रेमिका को बहुत हिम्मत कर के इसे दिया था। उसके एक घंटे बाद ही उसके भाई नें मुझे चौंक में पकडा और अपने घर ले गया, हम घबराते हुए उसके घर गये कि अब तो पडेगें डंडे। वहां मेरी भावी प्रेमिका के पिता नें मामला सम्हाला, मेरा नाम गांव पता सब नोट कर डाला। सकपकाते हुए हम जल्दी से जल्दी सलट लिये, जान बची लाखो पाये।
इस वाकये के एक महीने बाद ही हमारी उक्त भावी प्रेमिका, पत्नी बन गयी। हमें न तो पत्र का जवाब मिला ना ही, कुछ और पल, हमने ‘एज ए लवर’ गुजार सके, ना ही लव को एन्ज्वाय कर पाये। अब लोग हमसे पूछते हैं, भईया आपने तो लव मैरिज किया है ना.. तो हम अपसेट तो हो ही जाते है। आज श्रीमती के निजी सामानों के बक्से से यह पत्र मिला तो आंखों में चमक उभर आई . . . सचमुच हमने भी प्यार किया है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
संजीव तिवारी की कलम घसीटी
समसामयिक लेख
अतिथि कलम
जीवन परिचय
छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में
पुस्तकें-पत्रिकायें
छत्तीसगढ़ी शब्द
Chhattisgarhi Phrase
Chhattisgarhi Word
विनोद साव
कहानी
पंकज अवधिया
सुनील कुमार
आस्था परम्परा विश्वास अंध विश्वास
गीत-गजल-कविता
Bastar
Naxal
समसामयिक
अश्विनी केशरवानी
नाचा
परदेशीराम वर्मा
विवेकराज सिंह
अरूण कुमार निगम
व्यंग
कोदूराम दलित
रामहृदय तिवारी
अंर्तकथा
कुबेर
पंडवानी
Chandaini Gonda
पीसीलाल यादव
भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष
Ramchandra Deshmukh
गजानन माधव मुक्तिबोध
ग्रीन हण्ट
छत्तीसगढ़ी
छत्तीसगढ़ी फिल्म
पीपली लाईव
बस्तर
ब्लाग तकनीक
Android
Chhattisgarhi Gazal
ओंकार दास
नत्था
प्रेम साईमन
ब्लॉगर मिलन
रामेश्वर वैष्णव
रायपुर साहित्य महोत्सव
सरला शर्मा
हबीब तनवीर
Binayak Sen
Dandi Yatra
IPTA
Love Latter
Raypur Sahitya Mahotsav
facebook
venkatesh shukla
अकलतरा
अनुवाद
अशोक तिवारी
आभासी दुनिया
आभासी यात्रा वृत्तांत
कतरन
कनक तिवारी
कैलाश वानखेड़े
खुमान लाल साव
गुरतुर गोठ
गूगल रीडर
गोपाल मिश्र
घनश्याम सिंह गुप्त
चिंतलनार
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
छत्तीसगढ़ वंशी
छत्तीसगढ़ का इतिहास
छत्तीसगढ़ी उपन्यास
जयप्रकाश
जस गीत
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति
धरोहर
पं. सुन्दर लाल शर्मा
प्रतिक्रिया
प्रमोद ब्रम्हभट्ट
फाग
बिनायक सेन
ब्लॉग मीट
मानवाधिकार
रंगशिल्पी
रमाकान्त श्रीवास्तव
राजेश सिंह
राममनोहर लोहिया
विजय वर्तमान
विश्वरंजन
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
वेंकटेश शुक्ल
श्रीलाल शुक्ल
संतोष झांझी
सुशील भोले
हिन्दी ब्लाग से कमाई
Adsense
Anup Ranjan Pandey
Banjare
Barle
Bastar Band
Bastar Painting
CP & Berar
Chhattisgarh Food
Chhattisgarh Rajbhasha Aayog
Chhattisgarhi
Chhattisgarhi Film
Daud Khan
Deo Aanand
Dev Baloda
Dr. Narayan Bhaskar Khare
Dr.Sudhir Pathak
Dwarika Prasad Mishra
Fida Bai
Geet
Ghar Dwar
Google app
Govind Ram Nirmalkar
Hindi Input
Jaiprakash
Jhaduram Devangan
Justice Yatindra Singh
Khem Vaishnav
Kondagaon
Lal Kitab
Latika Vaishnav
Mayank verma
Nai Kahani
Narendra Dev Verma
Pandwani
Panthi
Punaram Nishad
R.V. Russell
Rajesh Khanna
Rajyageet
Ravindra Ginnore
Ravishankar Shukla
Sabal Singh Chouhan
Sarguja
Sargujiha Boli
Sirpur
Teejan Bai
Telangana
Tijan Bai
Vedmati
Vidya Bhushan Mishra
chhattisgarhi upanyas
fb
feedburner
kapalik
romancing with life
sanskrit
ssie
अगरिया
अजय तिवारी
अधबीच
अनिल पुसदकर
अनुज शर्मा
अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
अमिताभ
अलबेला खत्री
अली सैयद
अशोक वाजपेयी
अशोक सिंघई
असम
आईसीएस
आशा शुक्ला
ई—स्टाम्प
उडि़या साहित्य
उपन्यास
एडसेंस
एड्स
एयरसेल
कंगला मांझी
कचना धुरवा
कपिलनाथ कश्यप
कबीर
कार्टून
किस्मत बाई देवार
कृतिदेव
कैलाश बनवासी
कोयल
गणेश शंकर विद्यार्थी
गम्मत
गांधीवाद
गिरिजेश राव
गिरीश पंकज
गिरौदपुरी
गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’
गोविन्द राम निर्मलकर
घर द्वार
चंदैनी गोंदा
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
छत्तीसगढ़ पर्यटन
छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण
छत्तीसगढ़ी व्यंजन
जतिन दास
जन संस्कृति मंच
जय गंगान
जयंत साहू
जया जादवानी
जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड
जुन्नाडीह
जे.के.लक्ष्मी सीमेंट
जैत खांब
टेंगनाही माता
टेम्पलेट डिजाइनर
ठेठरी-खुरमी
ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं
डॉ. अतुल कुमार
डॉ. इन्द्रजीत सिंह
डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव
डॉ. गोरेलाल चंदेल
डॉ. निर्मल साहू
डॉ. राजेन्द्र मिश्र
डॉ. विनय कुमार पाठक
डॉ. श्रद्धा चंद्राकर
डॉ. संजय दानी
डॉ. हंसा शुक्ला
डॉ.ऋतु दुबे
डॉ.पी.आर. कोसरिया
डॉ.राजेन्द्र प्रसाद
डॉ.संजय अलंग
तमंचा रायपुरी
दंतेवाडा
दलित चेतना
दाउद खॉंन
दारा सिंह
दिनकर
दीपक शर्मा
देसी दारू
धनश्याम सिंह गुप्त
नथमल झँवर
नया थियेटर
नवीन जिंदल
नाम
निदा फ़ाज़ली
नोकिया 5233
पं. माखनलाल चतुर्वेदी
पत्रकार
परिकल्पना सम्मान
पवन दीवान
पाबला वर्सेस अनूप
पूनम
प्रशांत भूषण
प्रादेशिक सम्मलेन
प्रेम दिवस
बलौदा
बसदेवा
बस्तर बैंड
बहादुर कलारिन
बहुमत सम्मान
बिलासा
ब्लागरों की चिंतन बैठक
भरथरी
भिलाई स्टील प्लांट
भुनेश्वर कश्यप
भूमि अर्जन
भेंट-मुलाकात
मकबूल फिदा हुसैन
मधुबाला
महाभारत
महावीर अग्रवाल
महुदा
माटी तिहार
माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह
मीरा बाई
मेधा पाटकर
मोहम्मद हिदायतउल्ला
योगेंद्र ठाकुर
रघुवीर अग्रवाल 'पथिक'
रवि श्रीवास्तव
रश्मि सुन्दरानी
राजकुमार सोनी
राजमाता फुलवादेवी
राजीव रंजन
राजेश खन्ना
राम पटवा
रामधारी सिंह 'दिनकर’
राय बहादुर डॉ. हीरालाल
रेखादेवी जलक्षत्री
रेमिंगटन
लक्ष्मण प्रसाद दुबे
लाईनेक्स
लाला जगदलपुरी
लेह
लोक साहित्य
वामपंथ
विद्याभूषण मिश्र
विनोद डोंगरे
वीरेन्द्र कुर्रे
वीरेन्द्र कुमार सोनी
वैरियर एल्विन
शबरी
शरद कोकाश
शरद पुर्णिमा
शहरोज़
शिरीष डामरे
शिव मंदिर
शुभदा मिश्र
श्यामलाल चतुर्वेदी
श्रद्धा थवाईत
संजीत त्रिपाठी
संजीव ठाकुर
संतोष जैन
संदीप पांडे
संस्कृत
संस्कृति
संस्कृति विभाग
सतनाम
सतीश कुमार चौहान
सत्येन्द्र
समाजरत्न पतिराम साव सम्मान
सरला दास
साक्षात्कार
सामूहिक ब्लॉग
साहित्तिक हलचल
सुभाष चंद्र बोस
सुमित्रा नंदन पंत
सूचक
सूचना
सृजन गाथा
स्टाम्प शुल्क
स्वच्छ भारत मिशन
हंस
हनुमंत नायडू
हरिठाकुर
हरिभूमि
हास-परिहास
हिन्दी टूल
हिमांशु कुमार
हिमांशु द्विवेदी
हेमंत वैष्णव
है बातों में दम
छत्तीसगढ़ की कला, साहित्य एवं संस्कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख
लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा
विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...
-
दे दे बुलउवा राधे को : छत्तीसगढ में फाग संजीव तिवारी छत्तीसगढ में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा लोक मानस के कंठ कठ में तरंगित है । यहां के ...
-
यह आलेख प्रमोद ब्रम्हभट्ट जी नें इस ब्लॉग में प्रकाशित आलेख ' चारण भाटों की परम्परा और छत्तीसगढ़ के बसदेवा ' की टिप्पणी के रूप मे...
-
8 . हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? - पंकज अवधिया ...
बधाई प्यारे, हमारी तो आधा दर्जन इस तरह की कवितायें सड़ गयीं - हमारे सिवाय किसी ने देखा ही नहीं. लड़की क्या, उसके पिता ने भी नहीं देखा!
जवाब देंहटाएंसंजीव जी,
जवाब देंहटाएंचिट्ठी अभी तक संभाल कर रखी हुई है, ये इस बात क परिचायक है कि प्यार कितना गहरा है...अपसेट होने की ज़रूररत है?...इसे लव मैरिज ही तो कहेंगे...
अब इससे ज्यादा प्यार का क्या सबूत होगा :)
जवाब देंहटाएंह्म्म, तो दानेंद्र चाचा ने पकड़ के निपटा ही दिया था आपको , वो तो भला हो लक्ष्मण बबा का जिन्होने ये सोचा कि इस बालक संजीव को इतनी कम सज़ा में ही क्यों छोड़ दिया जाए , इसे तो उमर क़ैद मिलनी चाहिए!!
जवाब देंहटाएंसही सजा मिली है फ़िर तो आपको!!
वैसे ये पोस्ट लिखने के पहले और बाद में कितने बेलन????
अच्छा ही हुआ... दिल फ़ेंक आशिको का यही हाल होता है...एक कागज़ के टूकडे़ पर दिल खोल कर रख देते है...और अब लिखा है तो भुगतना तो पडे़गा ही न...जिसे चाहा जिसे सराहा जिसकी आपने तमन्ना की वही तो मिली है...इसे आपकी खुशकिस्मती ही तो कहेंगे...कहीं जूते पडे़ होते तो...यह पत्र पुलिस की फ़ाईलो के बीच इतिहास की धरोहर बना होता...मेरे ख्याल से आप अपने साले साहेब का शुक्रिया अदा किजिये...नामवार आशिकों लोगो में नाम नही आया आपका..आज कल तो रोज आशिक जूतो से पिट रहे है बेचारे...
जवाब देंहटाएंअब दोबारा गलती मत किजियेगा कहीं पत्र को देख कर फ़िर याद ताज़ा हो जायें...वैसे ये एक मज़ाक था तिवारी जी...
आपके प्रथम प्यार और उन्ही से विवाह होने पर हम आपको बधाई देते है...
सुनीता(शानू)
आदरणीय सुनीता जी
हटाएंहमें हमारी प्रेमिका पत्नी के रूप में तो नहीं मिल पायीं। फिर भी हम उन्हें आज भी 24 सालों के लंबे अंतराल के बाद भी भूल नहीं पाए हैं। उस समय हमारी उम्र मात्र 15 साल की थी और उनकी भी उतनी ही थी। आज भी हम उनका नाम जुबाँ पर नहीं लाते है और न ही वो। पर जब भी कभी गाहे बगाहे 2 4 साल में एक दूजे को मिलते हैं तो एक अजीब से अनकही बातें निगाहों में ही हो जाती है।
सबसे महत्तवपूर्ण विषय यह है कि हमने कभी आमने सामने बात नहीं की है सिर्फ पत्र के माध्यम से ही प्रेम का इजहार किया है।
हमें पूर्ण विश्वास है कि किसी न किसी जन्म में हम जरूर मिलेंगे।
भवदीय
आपका भाई
Sanjeev ji.. Aapka yeh patr padh ke hume lagta hai ki hum bhi chance le le.. pamphlet chapa ke baant de kya.. ;) ek na ek jagah toh ban hi jayegi..
जवाब देंहटाएंAur agar phir bhi na bani.. toh Ise humare Sanjeet Tripathi bhaiya karobaar toh kehte hi hai..
Investment samaj ke chalne denge..
Best wishes for your married life.. ;)
Regards..
Aman..
वाह वाह!! आप ऐसे थे?
जवाब देंहटाएंइतना सफल प्रेम पत्र तो बड़े बड़े कविता रचने वाले नहीं रच पाये. अब काहे अपसेट हो रहे हैं.
संजीव
जवाब देंहटाएंआपकी फ़राग दिली का भी जवाब नहीं! आज़माए हुए फ़ार्मूले को ब्लाग पर सीधे ही लगा कर इतनी कीमती दौलत लुटा दी। अरे भई, केवल घटित-कथा को बिना कविता(मोहिनी-मंत्र)के वाणिज्य विज्ञापन की तरह लिखते और
कहते कि 'मायूस प्रेमी इस आजमाए हुए मोहिनी-मंत्र के लिए इस ई मेल .....पर संपर्क करें। १६ वर्ष की आयु से कम वाले प्रेमी ई मेल
से पहले अपने माता-पिता से स्वीकृति अवश्य लें'। लाईन लग जाती। खैर, अब तो प्रेम नगरिया लुट गई।
भई, बुरा ना मान जाना, केवल मजाक में ही लिख दिया है।
पूरी पोस्ट बहुत अच्छी लगी। यथार्थ घटना के
कारण और भी रुचिकर हो गई। आनंद आ गया। कविता बहुत प्रभावशाली थी।
बधाई स्वीकारें
आपकी प्रेमकहानी बहुत दिलचस्प है और वो भी एक कविता से सफ़ल हो गई, क्या कहने!
जवाब देंहटाएंप्यार तो कोई आपसे करना सीखे ।बड़ा दिल को छू लेने वाला विवरन है ।लिखते रहिए ।
जवाब देंहटाएंNishikantWorld
vakai aap bahut khusnasib h ki aapne jisko pasand kiya vo apko mil gaye. asa har kisi ke jivan me nahi hota. apne jivan sathi v pyar ko hamesha khush rakhna. wish u happy marry life.
जवाब देंहटाएंprem-anu
aapne to is tarah ka prem patr likha hai ki,.... main khud aap par fida ho gaya
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है सर।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह संजीव जी एक ही पत्र ने कमाल कर दिया :):) बहुत सुन्दर रचना और रोचक घटना :)
जवाब देंहटाएंwah sir wah......11
जवाब देंहटाएंThanks to halchal. Aaj iski badolat hamane bhi jan li aapki prem kahaani.
जवाब देंहटाएंBadhai
अरे वाह हमने आज ही पढ़ी आपकी ये कविता... बहुत शानदार पत्र लिखा आपने
जवाब देंहटाएंशानदार
जवाब देंहटाएंआप की कविता से यह प्रतीत होता है कि जितनी सुंदर आप की कविता है उतनी ही सुंदर हमारी भाभीजी होंगी वैसे आपने जो कविता लिखी है सचमुच किसी परी की कल्पना की गई है अब जिसे परी ही मिल गई वह बदनसीब कैसे हो सकता है बहुत सुंदर आप की कविता और हमारी भाभी जी मेरी तरफ से आपके जीवन में लाखों खुशियां आएं और आप इसी तरह सुंदर भाभी के साथ सुंदर पत्रों को आगे भी लिखते रहें जिससे भाभी के दिल में आपके प्रति लवर का अहसास बना रहे।
जवाब देंहटाएंआप की कविता से यह प्रतीत होता है कि जितनी सुंदर आप की कविता है उतनी ही सुंदर हमारी भाभीजी होंगी वैसे आपने जो कविता लिखी है सचमुच किसी परी की कल्पना की गई है अब जिसे परी ही मिल गई वह बदनसीब कैसे हो सकता है बहुत सुंदर आप की कविता और हमारी भाभी जी मेरी तरफ से आपके जीवन में लाखों खुशियां आएं और आप इसी तरह सुंदर भाभी के साथ सुंदर पत्रों को आगे भी लिखते रहें जिससे भाभी के दिल में आपके प्रति लवर का अहसास बना रहे।
जवाब देंहटाएंआप की कविता से यह प्रतीत होता है कि जितनी सुंदर आप की कविता है उतनी ही सुंदर हमारी भाभीजी होंगी वैसे आपने जो कविता लिखी है सचमुच किसी परी की कल्पना की गई है अब जिसे परी ही मिल गई वह बदनसीब कैसे हो सकता है बहुत सुंदर आप की कविता और हमारी भाभी जी मेरी तरफ से आपके जीवन में लाखों खुशियां आएं और आप इसी तरह सुंदर भाभी के साथ सुंदर पत्रों को आगे भी लिखते रहें जिससे भाभी के दिल में आपके प्रति लवर का अहसास बना रहे।
जवाब देंहटाएं