
लेखक ने संग्रह की कहानियों को आधुनिक कथा लेखन शैली से लिखा है, कहानी के पारंपरिक ढांचे से इतर ये कहानियां आख्यानिक ढंग से लिखी गई है। लेखक के पत्रकार होने के कारण उसकी स्वाभाविक लेखन शैली भी इसमें उभर कर सामने आई है। कहानियों में घटनाओं और काल-परिस्थितियों का चित्रण विवरणात्मक है जिसे पढ़ते हुए पात्रों और स्थानों में जीवंतता का अहसास होता हैं। यह कहानियां तापस की स्वप्न कथाएं सी प्रतीत होती हैं जिसे उसने शब्दों में संजोने का सुन्दर उदीम किया है। इन कहानियों की भाषा शैली प्रणव है, शब्दों-वाक्यांशों का सटीक प्रयोग यह दर्शाता है कि लेखक के पास पर्याप्त शब्द भंडार हैं और वह स्वाभाविक खिलंदड़पन के साथ कहानियों में उसे प्रस्तुत किया है।

लेखक ने कहानियों में कुछ विशिष्ठ वाक्यांशों को सामान्य से बड़े अक्षरों में लिख कर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया है। पारंपरिक कहानी लेखन शैली में इस तरह का प्रयोग देखने को नहीं मिलती, इस कारण यह पठनीयता को के प्रवाह को किंचित बाधित करती है। किंतु वही यह उन पाठकों को कहानी को पूरा पढ़ने के लिए विवश भी करती है जो किताबों को सरसरी तौर पर पढ़ने के आदी हैं। इसके साथ ही संग्रह के अनुक्रम पृष्ठ पर देवी आराधना के वाक्यांश का उल्लेख लेखक को आशावादी एवं धर्म के प्रति आस्थावान प्रदर्शित करता है जो प्रगतिशील विचारधारा के साहित्यकारों को शायद अटपटा लगे। प्रकाशक नें ऐसा क्यूं किया है यह एकबारगी समझ में नहीं आया।
कहानी के विकास क्रम में नई कहानी के युग से नव प्रयोग आरंभ हुए हैं और कहानी के पारंपरिक ढांचे में आए इस बदलाव ने कहानी को चिंतन से जोड़कर, खालिस मनोरंजर से इतर, पाठकों को सोचने के लिए विवश किया है। इसी के चलते वर्तमान संकट के समय में कहानी विधा ने मानवीयता को स्थापित करने का बहुविधि प्रयास किया है। कथा आलोचकों का कहना यह भी है कि कहानी, समय सापेक्ष, युग सापेक्ष और संदर्भ सापेक्ष होता है। कथाकारों ने समय-युग और सन्दर्भ के नब्जों को टटोलकर कहानी के रूप में उसे अभिव्यक्त किया है। ऐसे ही कथाकारों के पद चिन्हों पर चलते हुए तापस नें इन कहानियों को बुना है। तापस बधाई और ढ़ेर सारी शुभकामनायें..
- संजीव तिवारी
सेकंड मैन (कहानी संग्रह), प्रकाशक - डबल ए लिटरेचर, पृष्ट संख्या - 48, मूल्य - रू. 110/-, लेखक का संपर्क - 09407761007, लेखक का ब्लॉग - आजाद हवा.
तापस के विषय में पढ कर उसके प्रति जिज्ञासा बढ रही है सञ्जीव ! नित - नवीन प्रतिभावों को उजागर करके उन्हें पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने की कला कोई तुमसे सीखे । बहुत बढिया काम कर रहे हो । ईश्वर तुम्हें लंबी उम्र दे । दीर्घायु भव !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका सम्मानीय तिवारी जी। मुझे हमेशा इस बात पर खीझ होती थी कि छत्तीसगढ़ में मुझे प्रोत्साहित करनेवाले वरिष्ठ नहीं मिले। मुझे अपनी किताब को दिल्ली ले जाना पड़ा। दोस्त अक्सर चिढ़ाते हैं कि तुम अपने राज्य से ज्यादा हमारे क्षेत्र में पढ़े गए हो। आप छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार हैं जिन्होंने मुझे न केवल पढ़ा बल्कि मेरे लिखे पर लिखा भी। आपको नमन, मुझे अपनी आंखों से देखने के लिए। बुद्धिजीविता की पट्टी बांधे बैठे हमारे प्रदेश के अनेक अग्रगण्य मेरी किताब तो पूरी फरमाइश के साथ ले गए मगर चश्मा पट्टी और किताब दोनों नहीं खोल पाए।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, "व्हाट्सएप्प राशिफल - ब्लॉग बुलेटिन “ , मे आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंअच्छी समीक्षा
जवाब देंहटाएंacha hai sir GET LATEST JOKES AND SMS IN YOUR INBOX
जवाब देंहटाएंLAUGHING IS THE BEST MEDICINE FOR GOOD HEALTH
JOKES KA ADDA