विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
यह आलेख प्रमोद ब्रम्हभट्ट जी नें इस ब्लॉग में प्रकाशित आलेख ' चारण भाटों की परम्परा और छत्तीसगढ़ के बसदेवा ' की टिप्पणी के रूप में लिखा है। इस आलेख में वे विभिन्न भ्रांतियों को सप्रमाण एवं तथ्यात्मक रूप से दूर किया है। सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत है टिप्पणी के रूप में प्रमोद जी का यह आलेख - लोगों ने फिल्म बाजीराव मस्तानी और जी टीवी का प्रसिद्ध धारावाहिक झांसी की रानी जरूर देखा होगा जो भट्ट ब्राह्मण राजवंश की कहानियों पर आधारित है। फिल्म में बाजीराव पेशवा गर्व से डायलाग मारता है कि मैं जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय हूं। उसी तरह झांसी की रानी में मणिकर्णिका ( रानी के बचपन का नाम) को काशी में गंगा घाट पर पंड़ितों से शास्त्रार्थ करते दिखाया गया है। देखने पर ऐसा नहीं लगता कि यह कैसा राजवंश है जो क्षत्रियों की तरह राज करता है तलवार चलता है और खुद को ब्राह्मण भी कहता है। अचानक यह बात भी मन में उठती होगी कि क्या राजा होना ही गौरव के लिए काफी नहीं था, जो यह राजवंश याचक ब्राह्मणों से सम्मान भी छीनना चाहता है। पर ऊपर की आशंकाएं निराधार हैं वास्तव में यह राजव
मां को देवी मानकर मन में रमा लीजिए, फिर किसी और देवी की ज़रूरत नहीं पड़ती। अपनी मां ही सर्वशक्तिदायिनी हो जाती है। आपकी मां की इस पुण्यतिथि पर मेरी यही प्रार्थना है कि ईश्वर उन्हें स्वर्ग में मातृसत्ता के सिंहासन पर आरूढ करे।
जवाब देंहटाएंमां- मृत्यु के अलावा वो आखिरी ठौर, जहां आकर व्यक्ति शांत हो जाता है, जहां से जाने की जल्दी नहीं होती, जहां कुछ और पाने की बेचैनी नहीं होती। पार्थिव रिश्तों में सबसे अलौकिक है मां। जगज्जननी दुर्गा का ही मूर्त रूप है मां। पुण्यतिथि पर आपकी माता जी को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....अवर्ननिये
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर. ममतामयी माँ को मेरी ऑर से श्रद्धा सुमन अर्पित है. नमन करता हूँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । शब्द छोटे पड जाते हैं । माँ के प्रति आपकी भावनाओं को समझ सकती हूँ, णाँ भी हूँ ऐर बेटी भी ।
जवाब देंहटाएंमाँ के लिए लिखा गया हर शब्द खूबसूरत है माँ सा ही
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर है यह .और शुक्रिया आपका मेरे लिखे को पसन्द करने के लिए [:)]
मेरी भी श्रद्धांजलि मित्र। जिस मनोयोग से आपने लिखा-उकेरा है उससे बहुत कुछ पता चलता है भावना जगत का।
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि उन्हें!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व भावपू्र्ण लिखा है आपने!!
मां सचमुच महान है।
जवाब देंहटाएंिबना उसके सूना जहान है।
....आज उस मां को श्रद्धा सुमन।
मां सचमुच महान है।
जवाब देंहटाएंिबना उसके सूना जहान है।
....आज उस मां को श्रद्धा सुमन।
surjeet.sur@gmail.com
bahut sundar panktiyaan....prasann man se yaad kijiye unhey
जवाब देंहटाएंश्रद्धासुमन
जवाब देंहटाएंमाता को समर्पित
बसे दिल में
हर शब्द माँ की चरण वन्दना करता हुआ सा...
bahut hi marmik kavita hai ...aantima panktiya dil tak gahare utarati hai...
जवाब देंहटाएंLokesh Sharma (Bonn, Germany)
जवाब देंहटाएंजोहर ले. आप मन के कविता हा बड़ा सुघर हावे.
Aadarneey Bhaiya,
जवाब देंहटाएंMarm shparshi rachana hai. Aapki rachana padh kar maa ki yaad aa gayi. Main to jite ji hi aapni maa se dur ho gaya hoon.
Aapse bahoot kuch sikhane ko milta hai.
regards,
Manish Kr. Pandey
mamta se paripudan...
जवाब देंहटाएंvatshaly se paripudan..
dhara par iswar ka pratirup maa
punaya tithi par ..
unhe shadar samarpit srdha suman
aapki kavita bahut marmik hai
man ko chhu gaye
आप की माता जी को मेरी भी श्रद्धांजली…आप की कविता ने मुझे मेरी मां की याद दिला दी। आशा है आप की माता जी और मेरी माता जी दोनों वहां सुख से होगीं
जवाब देंहटाएंMa! ek chhota sa dikhne wala shabd jismein saari duniya samayi hai, unke samman mein jitna kaha jaye kam hai.
जवाब देंहटाएंbahut sundarta se bhaavon ki abhivyakti ki hai.
shubhkamnayen