दिल्ली से अधिवक्ता मित्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार रिट पिटीशन नं २२४/२००७, कर्नाटक भूमिहीन किसान संगठन व अन्य विरुद्ध भारत सरकार व अन्य दिनाक ११ मई को न्यायाधिपति आर वी रविंद्रन व एच एस बेदी के बेंच में नियत ईस प्रकरण की प्रारंभिक सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधिपति के जी बालकृशनन ने प्रकरण मे निहित विधि के प्रश्न “लोक प्रयोजन” पर कहा कि केंद्र व राज्य शासन को लोक प्रयोजन के मसले पर प्रस्तुत पिटीशनो पर भूमि अधिग्रहण अधिनियम के अन्य उपबंधों के तहत प्रस्तुत पिटीशनो से ज्यादा गम्भीरता पुर्वक अपने दायित्वों को समझना चाहिये इस संबंध मे न्यायालया ने सभी राज्यो के मुख्य सचिव व कृषि मंत्रालय को नोटिस भेजा है ।
मै इस समाचार को छत्तीसगढ के नजरिये से देखते हुये अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं यहा शासन ने लोक प्रयोजन शब्द को अपने हित मे अर्थान्वयन करवाने के लिये जो व्यूह रची यह देखे :-
छत्तीसगढ में अभी टाटा के संयंत्र के लिये भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है जहा अधिग्रहण पूरी तरह से विवादित है नक्सलियो की जन अदालत की तर्ज पर ग्राम सभा मे प्राप्त किसानों की स्वीकृति व १३ लकीरों मे छिन चुकी आदिवासियो की भूमि पर आप रोज पढ रहे होंगे हम इस संबध मे कुछ भी नही कहेंगे ।
नये राज्य की राजधानी के लिये भारी मात्रा मे किये जा रहे भूमि अधिग्रहण के मसले पर हम कुछ नजर दौडायें, नया रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नये रायपुर का मास्टर प्लान प्रकाशित किया जा चुका है एवं उस पर दावा आपत्ति भी स्वीकार करने का समय समाप्त हो चुका है । नया रायपुर विकास प्राधिकरण एवं छ.ग. शासन के द्वारा नये रायपुर के लिये भी अधिग्रहित की जाने वाली भारी मात्रा में भूमि को टाटा संयंत्र की भांति विवाद से परे रखने के लिए रणनीति के तहत आज दिनांक तक भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी नहीं की गई है बल्कि भूमि अधिग्रहण के पिछले द्वार से प्रवेश की कार्यवाही आपसी सहमति के जरिये की जा रही है यह शासन की भूमि अधिग्रहण के पचडे से बचने की एक सोची समझी चाल है । हुडा (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) के नीतियों पर अमल करते हुए छ.ग. शासन, वहां आई व्यावहारिक दिक्कतों को प्रशासनिक तौर पर दूर करने के उददेश्य से आपसी समझौते पर ही ज्यादा जोर दे रही है क्योंकि भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण् में विभिन्न राज्य सरकारें सर्वोच्च न्यायालय के कटघरे में है एवं जनता भी अधिग्रहण के रास्ते में नित नये रोडे अटका रही है । ऐसे में विकास की धारा को विवादों से गंदला करने के बजाय दूसरे वैकल्पि रास्तों को प्रभावी बनाना सरकार की विवशता है ।
नया रायपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम के तहत प्रकाशित डाफट, भूमि अधिग्रहण के पूर्व किसानों के अटकलों पर एवं छुटपुट उठते विरोधों को दबाने का एक अस्त्र के रूप में प्रयोग है । छोटे किसान जिनके रोजी-रोटी का साधन उसकी भूमि है, पर शासन पिछले चार वर्षो तक विक्रय पंजीकरण नहीं करने का
आदेश तो दे ही चुकी थी । समाचारों में रोज छपता रहा कि किसी की बेटी का ब्याह तो किसी का और अन्य अहम आवश्यकता की पूर्ति उनके स्वयं की भूमि को विक्रय नहीं कर पाने के कारण हो नहीं पाई थी, सरकार के इस मार से किसान पहले से ही आधा हो गया था आपसी सहमती का चोट ऐसे ही समय में गरम लोहे पर हथौडा मारने वाला काम था, अब वे सभी किसान इस डर से राजीनामा कर पैसा ले लिए कि पता नहीं कल क्या तुगलकी फैसला हो और उन्हें फिर पांच साल तक बिना पैसे का गुजारा करना पडे ।
ऐसा करके शासन अधिकांशत: जमीन अधिग्रहित कर लेगी बाकी बचे जमीन राज्य शासन द्वारा अधिनियम के तहत अधीसूचना जारी कर डंडे के जोर पर छीन ली जायेगी । क्योंकि तब बहुसंख्यकों का विरोध सरकार को नहीं झेलना पडेगा और बिना विवाद काम निपट जायेगा । इस चाल का एक और पेंच है चीफ कमिशनर देहली एडमिनिस्ट्रेशन बनाम धन्ना सिंह 1987 के केस में न्यायालय नें मास्टर प्लान के लिए अधिग्रहण को लोक प्रयोजन की कोटि का माना है तो मास्टर प्लान यदि स्वीकृत हो गया तो सरकार की दिक्कते अपने आप सुलझ जायेगी । यहा नये रायपुर परिक्षेत्र मे आने वाले गाव के लोग समझ रहे है कि अभी तो धारा 4 की अधिसूचना तो जारी ही नही हुयी है जब जारी होगी तो लोक प्रयोजन की आपत्ति लगायेगे मगर तब तक देर हो चुकी होगी लोक प्रयोजन सिद्ध हो चुका होगा, यही है अधिनियम को अपने पक्ष मे करने का गुपचुप तरीका । हमने इस स्थिति को भांप कर 5 मइ 2007 तक गांवो के किसानो को जोडा और मास्टर प्लान ड्राफ्ट पर आपत्ति लगाया है हमारे साथ 400 से 500 लोगो ने आपत्ति लगाया है पर वे सभी सरकार की मंशा को समझ रहे है हमें नही लगता ।
(विधि से सम्बधित मेरे प्रयोग व पूरा लेख आप मेरे कानून सम्बन्धी चिठ्ठे http://jrcounsel4u.blogspot.com मे देख सकते है)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
लेबल
संजीव तिवारी की कलम घसीटी
समसामयिक लेख
अतिथि कलम
जीवन परिचय
छत्तीसगढ की सांस्कृतिक विरासत - मेरी नजरों में
पुस्तकें-पत्रिकायें
छत्तीसगढ़ी शब्द
Chhattisgarhi Phrase
Chhattisgarhi Word
विनोद साव
कहानी
पंकज अवधिया
सुनील कुमार
आस्था परम्परा विश्वास अंध विश्वास
गीत-गजल-कविता
Bastar
Naxal
समसामयिक
अश्विनी केशरवानी
नाचा
परदेशीराम वर्मा
विवेकराज सिंह
अरूण कुमार निगम
व्यंग
कोदूराम दलित
रामहृदय तिवारी
अंर्तकथा
कुबेर
पंडवानी
Chandaini Gonda
पीसीलाल यादव
भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष
Ramchandra Deshmukh
गजानन माधव मुक्तिबोध
ग्रीन हण्ट
छत्तीसगढ़ी
छत्तीसगढ़ी फिल्म
पीपली लाईव
बस्तर
ब्लाग तकनीक
Android
Chhattisgarhi Gazal
ओंकार दास
नत्था
प्रेम साईमन
ब्लॉगर मिलन
रामेश्वर वैष्णव
रायपुर साहित्य महोत्सव
सरला शर्मा
हबीब तनवीर
Binayak Sen
Dandi Yatra
IPTA
Love Latter
Raypur Sahitya Mahotsav
facebook
venkatesh shukla
अकलतरा
अनुवाद
अशोक तिवारी
आभासी दुनिया
आभासी यात्रा वृत्तांत
कतरन
कनक तिवारी
कैलाश वानखेड़े
खुमान लाल साव
गुरतुर गोठ
गूगल रीडर
गोपाल मिश्र
घनश्याम सिंह गुप्त
चिंतलनार
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
छत्तीसगढ़ वंशी
छत्तीसगढ़ का इतिहास
छत्तीसगढ़ी उपन्यास
जयप्रकाश
जस गीत
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति
धरोहर
पं. सुन्दर लाल शर्मा
प्रतिक्रिया
प्रमोद ब्रम्हभट्ट
फाग
बिनायक सेन
ब्लॉग मीट
मानवाधिकार
रंगशिल्पी
रमाकान्त श्रीवास्तव
राजेश सिंह
राममनोहर लोहिया
विजय वर्तमान
विश्वरंजन
वीरेन्द्र बहादुर सिंह
वेंकटेश शुक्ल
श्रीलाल शुक्ल
संतोष झांझी
सुशील भोले
हिन्दी ब्लाग से कमाई
Adsense
Anup Ranjan Pandey
Banjare
Barle
Bastar Band
Bastar Painting
CP & Berar
Chhattisgarh Food
Chhattisgarh Rajbhasha Aayog
Chhattisgarhi
Chhattisgarhi Film
Daud Khan
Deo Aanand
Dev Baloda
Dr. Narayan Bhaskar Khare
Dr.Sudhir Pathak
Dwarika Prasad Mishra
Fida Bai
Geet
Ghar Dwar
Google app
Govind Ram Nirmalkar
Hindi Input
Jaiprakash
Jhaduram Devangan
Justice Yatindra Singh
Khem Vaishnav
Kondagaon
Lal Kitab
Latika Vaishnav
Mayank verma
Nai Kahani
Narendra Dev Verma
Pandwani
Panthi
Punaram Nishad
R.V. Russell
Rajesh Khanna
Rajyageet
Ravindra Ginnore
Ravishankar Shukla
Sabal Singh Chouhan
Sarguja
Sargujiha Boli
Sirpur
Teejan Bai
Telangana
Tijan Bai
Vedmati
Vidya Bhushan Mishra
chhattisgarhi upanyas
fb
feedburner
kapalik
romancing with life
sanskrit
ssie
अगरिया
अजय तिवारी
अधबीच
अनिल पुसदकर
अनुज शर्मा
अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
अमिताभ
अलबेला खत्री
अली सैयद
अशोक वाजपेयी
अशोक सिंघई
असम
आईसीएस
आशा शुक्ला
ई—स्टाम्प
उडि़या साहित्य
उपन्यास
एडसेंस
एड्स
एयरसेल
कंगला मांझी
कचना धुरवा
कपिलनाथ कश्यप
कबीर
कार्टून
किस्मत बाई देवार
कृतिदेव
कैलाश बनवासी
कोयल
गणेश शंकर विद्यार्थी
गम्मत
गांधीवाद
गिरिजेश राव
गिरीश पंकज
गिरौदपुरी
गुलशेर अहमद खॉं ‘शानी’
गोविन्द राम निर्मलकर
घर द्वार
चंदैनी गोंदा
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय
छत्तीसगढ़ पर्यटन
छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण
छत्तीसगढ़ी व्यंजन
जतिन दास
जन संस्कृति मंच
जय गंगान
जयंत साहू
जया जादवानी
जिंदल स्टील एण्ड पावर लिमिटेड
जुन्नाडीह
जे.के.लक्ष्मी सीमेंट
जैत खांब
टेंगनाही माता
टेम्पलेट डिजाइनर
ठेठरी-खुरमी
ठोस अपशिष्ट् (प्रबंधन और हथालन) उप-विधियॉं
डॉ. अतुल कुमार
डॉ. इन्द्रजीत सिंह
डॉ. ए. एल. श्रीवास्तव
डॉ. गोरेलाल चंदेल
डॉ. निर्मल साहू
डॉ. राजेन्द्र मिश्र
डॉ. विनय कुमार पाठक
डॉ. श्रद्धा चंद्राकर
डॉ. संजय दानी
डॉ. हंसा शुक्ला
डॉ.ऋतु दुबे
डॉ.पी.आर. कोसरिया
डॉ.राजेन्द्र प्रसाद
डॉ.संजय अलंग
तमंचा रायपुरी
दंतेवाडा
दलित चेतना
दाउद खॉंन
दारा सिंह
दिनकर
दीपक शर्मा
देसी दारू
धनश्याम सिंह गुप्त
नथमल झँवर
नया थियेटर
नवीन जिंदल
नाम
निदा फ़ाज़ली
नोकिया 5233
पं. माखनलाल चतुर्वेदी
पत्रकार
परिकल्पना सम्मान
पवन दीवान
पाबला वर्सेस अनूप
पूनम
प्रशांत भूषण
प्रादेशिक सम्मलेन
प्रेम दिवस
बलौदा
बसदेवा
बस्तर बैंड
बहादुर कलारिन
बहुमत सम्मान
बिलासा
ब्लागरों की चिंतन बैठक
भरथरी
भिलाई स्टील प्लांट
भुनेश्वर कश्यप
भूमि अर्जन
भेंट-मुलाकात
मकबूल फिदा हुसैन
मधुबाला
महाभारत
महावीर अग्रवाल
महुदा
माटी तिहार
माननीय श्री न्यायमूर्ति यतीन्द्र सिंह
मीरा बाई
मेधा पाटकर
मोहम्मद हिदायतउल्ला
योगेंद्र ठाकुर
रघुवीर अग्रवाल 'पथिक'
रवि श्रीवास्तव
रश्मि सुन्दरानी
राजकुमार सोनी
राजमाता फुलवादेवी
राजीव रंजन
राजेश खन्ना
राम पटवा
रामधारी सिंह 'दिनकर’
राय बहादुर डॉ. हीरालाल
रेखादेवी जलक्षत्री
रेमिंगटन
लक्ष्मण प्रसाद दुबे
लाईनेक्स
लाला जगदलपुरी
लेह
लोक साहित्य
वामपंथ
विद्याभूषण मिश्र
विनोद डोंगरे
वीरेन्द्र कुर्रे
वीरेन्द्र कुमार सोनी
वैरियर एल्विन
शबरी
शरद कोकाश
शरद पुर्णिमा
शहरोज़
शिरीष डामरे
शिव मंदिर
शुभदा मिश्र
श्यामलाल चतुर्वेदी
श्रद्धा थवाईत
संजीत त्रिपाठी
संजीव ठाकुर
संतोष जैन
संदीप पांडे
संस्कृत
संस्कृति
संस्कृति विभाग
सतनाम
सतीश कुमार चौहान
सत्येन्द्र
समाजरत्न पतिराम साव सम्मान
सरला दास
साक्षात्कार
सामूहिक ब्लॉग
साहित्तिक हलचल
सुभाष चंद्र बोस
सुमित्रा नंदन पंत
सूचक
सूचना
सृजन गाथा
स्टाम्प शुल्क
स्वच्छ भारत मिशन
हंस
हनुमंत नायडू
हरिठाकुर
हरिभूमि
हास-परिहास
हिन्दी टूल
हिमांशु कुमार
हिमांशु द्विवेदी
हेमंत वैष्णव
है बातों में दम
छत्तीसगढ़ की कला, साहित्य एवं संस्कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख
लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा
विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को ...
-
दे दे बुलउवा राधे को : छत्तीसगढ में फाग संजीव तिवारी छत्तीसगढ में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा लोक मानस के कंठ कठ में तरंगित है । यहां के ...
-
यह आलेख प्रमोद ब्रम्हभट्ट जी नें इस ब्लॉग में प्रकाशित आलेख ' चारण भाटों की परम्परा और छत्तीसगढ़ के बसदेवा ' की टिप्पणी के रूप मे...
-
8 . हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? - पंकज अवधिया ...
संजीव जी; आपकी चिंता बाजिव है और आप केवल चिंता ही नहीं कर रहे बल्कि आवाज भी उठा रहे हैं. साधुवाद आपको और आपकी कोशिशों को.
जवाब देंहटाएंसंजीव तिवारी जी,आप की चिन्ता वाजिब है सरकारी तंत्र हमेशा गरीब को दबाने मे लगा रह्ता है।उसे किसानों की बेबसी से कोई सरोकार नही है।यह बात अक्सर उस के काम करने के तरीके से पता लग जाती है।आप का लेख सच मे सोचने को मजबूर करता है।बहुत ही साफ सुथरें ढंग से इस लेख को रखने हेतु आप बधाई के पात्र हैं।
जवाब देंहटाएंमाफ करें क्या आपका प्रयाश सच्मुच लोगो को फ़ायदा पहुचाना है या इसके पूर्व ही लोगों के द्वारा खारून नदी को खरीदने का जो गुधेली प्रोजेक्ट
जवाब देंहटाएंवाला प्रयास किया गया था उसके कंसलटेंट आप ही थे, जो चंद इंडस्टिलिस्ट को फायदा पहुंचाने वाला काम था,
धन्य हो भास्कर का जिसने आपके योजना को पूरा होने से पहले ही चर्चा में ला दिया । और खारून बच गयी नहीं
तो शिवनाथ की तरह वो भी किसी उधोगपति के चुंगुल में होती यदि आप जनता के लिए भी कुछ करें तो अच्छा
होता । भूमिअधिग्रहण में बहुत लोगों को मदद की आवश्यकता है ।
महानुभाव आप कौन है मै समझ नही पा रहा हू नदी को कोई कैसे खरीद सकता है मीडिया के प्रोपोगंडा मे सब हां हां बोलते है गुधेली प्रोजेक्ट सरकार के सुखे पडे नहरो मे पानी ला कर बेरला ब्लाक के किसानो को पानी देने का प्रोजेक्ट था कोई नदी खरीदने का नही ईसमे यदि कोई उध्योगपति सहयोग करने के लिये तैयार है तो आपत्ति क्यो, यदी आप ईस सम्बंध मे जानना चाहते है तो छ ग शासन के पास मेरी फ़ाईल पडी है सुचना के अधिकार के तहत निकलवा कर पढे सब स्पस्ट हो जायेगा हमारे पहल से ही बेरला ब्लोक मे नहरो के लायनिग का काम चालू हो चुका है जाये देखे, ब्यर्थ व अनर्गल टिप्पणी ना करे तो अच्छा
जवाब देंहटाएंtest 1234
जवाब देंहटाएंTest 123
जवाब देंहटाएंज़ायज़ चिंता! साधुवाद!!
जवाब देंहटाएंसंजीव जी आपने कभी सच का दामन नही छोड़ा है हमे आपके चिट्ठे पर गर्व है,..क्यूँकि आप बेखटक अपनी बात जनता के सम्मुख रखते है,..सरकार की इस नीति का खामियाजा भी गरीब जनता को ही भुगतना पड रहा है,.ऐसा नही की इससे आम आदमी परेशान नही है वरन परेशान है सारी की सारी अर्थव्यवस्था गड़्बड़ा जाती है,...
जवाब देंहटाएंहो सकता है आपका लेख ऐक नई क्रातिं ले आये...बहुत-बहुत शुभ कामनाए आप ऐसे ही अपनी आवाज़ बुलन्द रखें...
सुनीता चोटिया(शानू)
आप बहुत अच्छा कर रहे हैं. इन चीज़ों पर बहस ज़रूरी है.
जवाब देंहटाएंसजीव जी आज बार-बार आपको टिप्पणी दे रहे है मगर जाने क्यूँ जा नही रही है,..हम ये कोशिश बार-बार नही करते मगर आपका लेख हमे मजबूर करता है,..आप गरीब जनता की आवाज़ है ऐर हम आपकी आवाज़ मे आवाज़ मिलाकर और बुलन्द करना चाहते है,...ताकी आपकी आवाज़ को कोई कमजोर ना समझे,..आपकी कलम में वो तेज़ धार है जो सीधे दिल पेर असर करती है,..आप अपना कार्य बखूबी करते रहिये,...हमारा पूरा समर्थन आपके साथ है,..
जवाब देंहटाएंसुनीता चोटिया (शानू)
आपका उत्साह अच्छा लगता है. पर विकास के लिये अगर अधिग्रहण जरूरी हो तो किया जाना चाहिये. आप विकास में बाधक न बनें - बस. अगर व्यापक औद्योगिक विकास आर्थिक उन्नति का वाहक है तो अधिग्रहण में कोताही या देरी नहीं होनी चाहिये.
जवाब देंहटाएंहम लोग किसी मुद्दे पर असहमत हो सकते हैं न?