विगत बीस वर्षो से भगत सिंह के शहादत दिवस पर दुर्ग की गुरूसिंह सभा व्याख्यान और कवि सम्मेलन आयोजित करते आ रही है। इस वर्ष भी 23 मार्च को यह कार्यक्रम संध्या 7.30 बजे आयोजित था। इस वर्ष भगत सिंह पर वक्तव्य देने छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता श्री कनक तिवारी जी आने वाले थे। मैं पिछले लगभग चार साल पहले उन्हें इसी मंच पर सुन चुका था। मैं बेसब्री से उस घड़ी का इंतजार कर रहा था। मैं उन्हें लगातार पढ़ता और सुनता रहा हूं, तब से जब मैं एलएल.बी. फर्स्टईयर में था और उन्होंनें संविधान के पीरियड के पहले दिन ही मुझसे पूछा था कि 1857 में क्या हुआ था। मैंनें झेंपते हुए छत्तीसगढि़या लहजे में कहा था, 'गदर।' उन्होंनें उस दिन पूरा पीरियड हमें यह समझाया था कि अंग्रेजों नें हमारे इतिहास को गलत ढ़ंग से नरेट किया है, उन्होंनें 'गदर' शब्द को बहुत सरल ढ़ग से समझाया जिसका सार अर्थ था 'निरुद्देश्य मार-काट'। उन्होंनें बताया कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की भावनात्मकता को खारिज करने के उद्देश्य से अंग्रेजों नें इसे खुद व हिन्दी इतिहासकारों से 'गदर' लिखा और लिखवाया।
यादें और भी हैं, किन्तु अभी नहीं। तो .. दोपहर उनके फेसबुक पर नजर गई तो ज्ञात हुआ कि उनके प्रिय बड़े भाई का बिलासपुर में आज ही निधन हो गया है। अनमने से मैं उस शहादत दिवस के कार्यक्रम में पहुंचा, मुझे लगा था कि कनक तिवारी जी का व्याख्यान हम सुन नहीं पायेंगे। किन्तु वे समय पर आये, अपना वक्तव्य समय पर खत्म कर शीघ्र लौट गए। जिनके दम पर आजादी हमने पाई है ऐसे वीर सपूत भगत सिंह पर उन्होंनें लगभग तीस मिनट का सारगर्भित और ओजस्वी वक्तव्य दिया। अंत में उन्होंनें अपने बड़े भाई के खोने का दुखभरा संदेश श्रोताओं को बताया। दुख की घड़ी में भी वे देश और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों के लिए सजग रहे, बिलासपुर से दुर्ग इस कार्यक्रम के लिए आए और तुरन्त लौट गए। उनके विशाल ज्ञान सागर के सामने कृतज्ञता के लिए मैं बिना कोई शब्द गढ़े अपनों के लिए उनका वीडियो प्रस्तुत कर रहा हूं, आईये सुनें शहीदों के प्रति उनकी श्रद्धांजलि ..