आइए आज देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी की जयंती पर आज उनसे संबंधित एक संस्मरण हम आपको बताते हैं। यह संस्मरण हमे हमारे दुर्ग अधिवक्ता संघ के वरिष्ठ अधिवक्त श्री गौरी शंकर सिंह के द्वारा बताया गया।
भिलाई इस्पात संयंत्र में जब प्रथम धमन भट्टी के उद्घाटन की बारी आई तब उसके उद्घाटन के लिए देश के राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को आमंत्रित किया गया। जब राजेंद्र प्रसाद जी भिलाई आए तब उस समय भिलाई में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवेलप पूरा नहीं हुआ था। उन्हें धमन भट्टी के उद्घाटन के लिए दूर तक पैदल चलना पड़ा। इसमें उनका जूता फट गया।
उस समय भिलाई इस्पात संयंत्र के प्रधान (जीएम) पद पर आईएएस को नियुक्त किया जाता था। तत्कालीन बीएसपी प्रधान श्री श्रीवास्तव जी डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी के दमांद थे। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद श्री श्रीवास्तव जी के ही 32 बंगला स्थित बंगला नं. 1 में रुके थे।
राष्ट्रपति जी धमन भट्टी का उद्घाटन कर वापस आए तब उन्होंने देखा कि उनका जूता फट गया था। उन्होंने अपने दामाद को कहा कि मेरा जूता फट गया है मुझे दूसरा जूता लेना है।
तत्कालीन बीएसपी प्रमुख ने जूते के लिए अपने अधिकारियों को कहा। उनके अधिकारी रायपुर जा कर, उसी नाप का एक अच्छा सा महंगा जूता ले कर आ गए। जब यह जूता डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी को दिया गया तब राजेंद्र प्रसाद जी ने जूता यह कहकर लौटा दिया कि वे वैसा ही सस्ता जूता पहनेंगे। बाद में वे भिलाई में एक दिन रुके और उनके लिए वैसा ही सस्ता जूता लाया गया, तब उन्होंने उस जूते को स्वीकार किया।
(जैसा कि श्री गौरी शंकर सिंह ने बताया उसे संजीव तिवारी ने रूपांतरित कर लिखा)