प्रतिवर्ष की भांति 1948 में राजनांदगांव में गुजराती समाज के द्वारा दुर्गोत्सव मनाया जा रहा था। उस समय बीड़ी के व्यापारी मीरानी सेठ के घर के सामने दुर्गा रखा हुआ था। दुर्गा पंडाल में इस वर्ष भी शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम रखा गया था जिसमें रायपुर के प्रसिद्द संगीतकार अरुण सेन आमंत्रित थे। कार्यक्रम के बीच में सुगम और फ़िल्मी संगीत भी रखा गया था ताकि दर्शक शास्त्रीय संगीत से बोर न हों। इसमें खुमानसाव को फिल्मी संगीत की प्रस्तुति के लिए बुलाया गया था। इस कार्यक्रम में खुमान साव ने कुछ फिल्मी गीत प्रस्तुत किए जिसमें 'घर आया मेरा परदेसी' जैसे गाने प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम सुनने वालों ने खुमान संगीत को बहुत पसंद किया। उसी दिन खुमान साव ने यह निश्चय किया कि महानगरों की भांति राजनांदगांव में भी एक आर्केस्ट्रा पार्टी का निर्माण किया जाए। इस कार्यक्रम से ही छत्तीसगढ़ में आर्केस्ट्रा पार्टी की परिकल्पना ने पहली बार पंख पसारा।
इसी वर्ष दुर्गा पक्ष के बाद ही खुमान साव ने खुमान एण्ड पार्टी के नाम से आर्केस्ट्रा पार्टी का गठन किया। उस समय महिलाएं आर्केस्ट्रा में नहीं गाती थीं। जो पुरुष गायक पार्टी में थे उनमे सुंदर सिंह ठाकुर जो बाद में ट्राइबल के सीओ हुए वे सहगल के गीत गाते थे। जयराम शुक्ल जो किशोरीलाल शुक्ला के भतीजे थे और बाद में तहसीलदार हुए वे और संतोष शुक्ला अन्य फिल्मी गीत गाते थे।
खुमान साव के आर्केस्ट्रा पार्टी ने तब धूम मचा दिया था। पूरे छत्तीसगढ़ में 'खुमान एण्ड पार्टी' की मांग आने लगी थी। उनकी पार्टी में धीरे-धीरे लोग जुड़ते गए और 1948 से 50 तक खुमान आर्केस्टा का पूरे छत्तीसगढ़ में काफी धूम रहा। जब संगीत कलाकार बढ़ते गए तब उन्होंने 1952 में 'शारदा संगीत समिति' की स्थापना की जिसमें भी वो संगीत देने लगे। कलाकारों के बढ़ने के बाद 1959 में उन्होंने 'सरस्वती संगीत समिति' का गठन किया और आर्केस्ट्रा पार्टी अनवरत चलती रही। 1954 में जब वे जनपद स्कूल राजनांदगांव में शिक्षक नियुक्त हो गए उसके बाद उन्होंने अंतिम आर्केस्ट्रा पार्टी का जो संचालन किया उसका नाम 'राज भारती संगीत समिति' था, जिसे बाद में उनके शिष्य नरेंद्र चौहान जी चलाने लगे। 1962 में प्रसिद्द लोकसंगीतकार गिरजा सिन्हा और भैयालाल हेडाऊ के साथ मिल कर भी उन्होंने एक संगीत समिति का गठन किया जिसमे फ़िल्मी गीतों के साथ ही छत्तीसगढ़ी गीत भी प्रस्तुत किये जाने लगे। इस प्रकार से छत्तीसगढ़ में लोक संगीत के नागरी प्रस्तुति का बीजारोपण हुआ।
(खुमान साव पर संजीव तिवारी द्वारा लिखे जा रहे कलम घसीटी के अंश)
फेसबुक पर यह प्रस्तुति-