
20 जुलाई से 26 जुलाई सुबह तक हमारे पास जो भी अतिरिक्त समय था उसे सीपेनल-वर्डप्रेस-सीएसएस-पीएचपी-कोडेक्स-प्लगिंग-विजेटों-सीएमएस-जावा को समझने में लगाया। इस बीच बार-बार वही-वही कार्य को दुहराना पड़ा, किन्तु इंटरनेट सर्च के प्रयोगों नें मुझे पल-पल में सहयोग किया। इंटरनेट में यदि आप सर्च सुविधाओं का सही उपयोग करते हैं तो आपके हर सवालों का जवाब यहॉं मिल जाता है। हमारे पास भाषा की समस्या है किन्तु तकनीकि आलेख/सहायता में भाषा कोई बड़ी बाधा नहीं होती। हमने देखा कि वेब तकनीक के ढ़ेरों वीडियो ट्यूटोरियल भरे पड़े हैं नेट पर जिनके सहारे सामान्य तकनीक जानकार भी अपना ब्लॉग, पोर्टल व वेब साईट बना कर होस्ट कर सकता है और उसे अपनी कल्पनाओं का रूप दे सकता है।
इन छ: दिनों में किए गए प्रयोगों के बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुचा कि यदि आपको सीएमएस आधारित निरंतर अपडेट होने वाले किसी पोर्टल की आवश्यकता है तो आप स्वयं प्रयास करने के बजाए किसी प्रोफेशनल को कार्य करने देवें। क्योंकि आप तकनीक को सीखने, उसे प्रयोग करने के कार्यों में इतने व्यस्त हो जायेंगें कि आप कोई लेखकीय सृजन नहीं कर पायेंगें।
रतन सिंह शेखावत जी और वे4होस्ट को धन्यवाद, आप मेरा यह प्रयास देखें एवं सुझाव देवें -
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बधाई व शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंगाड़ा गाड़ा बधई
जवाब देंहटाएंबने होगे।
तकनीकी रूप से अपढ़ लोगों के लिए भी कुछ किया करें :)
जवाब देंहटाएंझउंवा भर भर के बधाई
जवाब देंहटाएंबधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई हो, अनुभव बाटियेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.......
जवाब देंहटाएंबधाई! बढ़े रहिये ...पीछे पीछे हम भी लगे हैं!!
जवाब देंहटाएंअरे वाह! रतन सिंह शेखावत जी की इस विशेषता के बारे में तो पता ही नहीं था।
जवाब देंहटाएंइसमें खर्चा कितना आया। यह बात पता चलती, तो शायद कुछ लोग और मोटिवेट होते।
जवाब देंहटाएं.......
प्रेम एक दलदल है..
’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।