छत्तीसगढ के शक्तिपीठ – 1
शंखिनी-डंकिनी नदी के तट पर विजय पथ पर बढते राजा अन्नमदेव के कानों में नूपूर की ध्वनि आनी बंद हो गई । वारांगल से पूरे बस्तर में अपना राज्य स्थापित करने के समय तक महाप्रतापी राजा के कानों में गूंजती नूपूर ध्वनि के सहसा बंद हो जाने से राजा को वरदान की बात याद नही रही, राजा अन्नमदेव कौतूहलवश पीछे मुड कर देखने लगे ।
माता का पांव शंखिनी-डंकिनी के रेतों में किंचित फंस गया था । अन्नमदेव को माता नें साक्षात दर्शन दिये पर वह स्वप्न सा ही था । माता नों कहा 'अन्नमदेव तुमने पीछे मुड कर देखा है, अब मैं जाती हूं ।'
राजा अन्नमदेव के अनुनय विनय पर माता नें वहीं पर अपना अंश स्थापित किया और राजा नें वहीं अपने विजय यात्रा को विराम दिया ।
डंकिनी-शंखनी के तट पर परम दयालू माता सती के दंतपाल के गिरने के उक्त स्थान पर ही जागृत शक्तिपीठ, बस्तर के राजा अन्नमदेव की अधिष्ठात्री मॉं दंतेश्वरी का वास है ।
(कथा पारंपरिक किवदंतियों के अनुसार)
संजीव तिवारी
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पीछे मुड़ने या एकाग्रता भंग होने का दृष्टांत बहुत स्थानों पर आता है। ईश्वरीय शक्तियां एक विधान के अनुसार आपका साथ देती हैं। फिर रुकने को कोई न कोई निमित्त बना लेती हैं।
जवाब देंहटाएंलेख अच्छा लगा।
नही अब कोई समस्या नही है फायर फाक्स से पढ्ने मे। ऐसी ही जानकारियो से जग को छत्तीसगढ से परिचित कराते रहिये। शुभकामनाए।
जवाब देंहटाएंapki lekhni gyan ka bhandar hai...
जवाब देंहटाएंlekh prabhawshali hai
'बस्तर की देवी दंतेश्वरी' का दृष्टांत पढ़ कर बड़ा ही अच्छा लगा। ऐसी ही जानकारियों से अवगत कराते रहिए। आरंभ से अंत तक रोचकता और उत्सुक्ता बनी रही।
जवाब देंहटाएंWOW!
जवाब देंहटाएंmujhe to is Danteshwarei mata ke bare me kuch pata hi nahi tha,...
thanks sanjeev ji, aapke iss lekh ki vajah se humko jaankari mili.
BAHUT HI DHANYAWAAD PADH KAR BAHUT ACHCHA LAGA
जवाब देंहटाएंAUR JANKARI BHI MILI
PLEASE KYA AAP HUME DONGARGARH KI MAA MAA BAMLESHWARI KI KAHANI BATA SAKTE HAI
BAHUT HI JIGYASHA HAI MAN ME KAHANI JANNE KI
IN ADVANCE THANK YOU