tag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post7400835300472874021..comments2024-02-29T08:28:48.349+05:30Comments on आरंभ Aarambha: परम्परा और नवीनता का संगम : नाचा 336solutionshttp://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-1938772956158622992013-08-14T13:08:23.239+05:302013-08-14T13:08:23.239+05:30धन्यवाद एमन भाई।धन्यवाद एमन भाई।36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-4215981792141270162013-08-14T10:51:44.811+05:302013-08-14T10:51:44.811+05:30कारी:- हमारा देश भारत दुनिया में अपनी मनीषी परंपरा...कारी:- हमारा देश भारत दुनिया में अपनी मनीषी परंपरा और भावनात्मक जीवन शैली के साथ साथ दया, धर्म,जैसी धार्मिक विचारो के लिए जाना जाता रहा है,इसी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के हिरदय स्थल पर मानविक भावनावो से धडकता राज्य है हमारा छत्तीसगढ़,जिसे दक्षिण कोशल और न जाने कितने नामो से संबोधित होता आ रहा है ,यहाँ की संस्कृति और परंपरा के बगिए में सुआ, ददरिया ,करमा, पंथी ,नाचा जैसे कितने ही फुल खिले है जिनकी एमन दास मानिकपुरी https://www.blogger.com/profile/13550334380094173231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-51025612162158490372013-08-14T10:51:14.306+05:302013-08-14T10:51:14.306+05:30कारी:- हमारा देश भारत दुनिया में अपनी मनीषी परंपरा...कारी:- हमारा देश भारत दुनिया में अपनी मनीषी परंपरा और भावनात्मक जीवन शैली के साथ साथ दया, धर्म,जैसी धार्मिक विचारो के लिए जाना जाता रहा है,इसी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के हिरदय स्थल पर मानविक भावनावो से धडकता राज्य है हमारा छत्तीसगढ़,जिसे दक्षिण कोशल और न जाने कितने नामो से संबोधित होता आ रहा है ,यहाँ की संस्कृति और परंपरा के बगिए में सुआ, ददरिया ,करमा, पंथी ,नाचा जैसे कितने ही फुल खिले है जिनकी एमन दास मानिकपुरी https://www.blogger.com/profile/13550334380094173231noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-56495763263129014182008-02-03T22:23:00.000+05:302008-02-03T22:23:00.000+05:30भाइ सहाब नमस्ते! मुझे एक बात समझ मे नही आया कि एक ...भाइ सहाब नमस्ते! मुझे एक बात समझ मे नही आया कि एक राजतन्त्र, प्रजातन्त्र का विरोध कर अमर कैसे हो जात्ते है? मुझे आज भी एक हिन्दी फ़िल्म "नया दौर" समझ मे नही आया, जिसमे नायक को नये परिवर्तन का विरोध करते दिखाया गया है. क्या गाव-गाव तक बस या ट्रेन कि सुविधा नहि होनि चाहिये? जब भारत मे कम्प्युटर आया तो हमारे वामपान्थि भाइ लोग काफ़ी विरोध किये थे जो भि एक परिवर्तन का दौर था. आज कइ लेखक (कुछ दिन पुर्वLokesh Kumar Sharmahttps://www.blogger.com/profile/18296007559482389938noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-92003439651142556632008-02-03T21:39:00.000+05:302008-02-03T21:39:00.000+05:30अपन गांव में बहुत ही कम रहे सो नाचा देखने का मौका ...अपन गांव में बहुत ही कम रहे सो नाचा देखने का मौका भी एक दो बार ही मिला है, रात भर तकरीबन सारा गांव जमा रहता था और नाचा में डूबे लोगों को भोर की लालिमा फ़ैलनी का पता ही नही चलता था।<BR/>हबीब तनवीर के दो ही नाटक देख पाया हूं अब तक<BR/>एक तो "चरणदास चोर" और दूसरा "जिन लाहौर नई वेख्या वो जन्म्याई नईं" दोनो ही नाटक एक दूसरे से बहुत भिन्न हैं पर इतने प्रभावी कि आप एक बार देखकर न तो मन भरेगा न ही आप Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-712203494289041062008-02-03T20:33:00.000+05:302008-02-03T20:33:00.000+05:30बचपन में कई बार नाचा देखा है और उनकी छवि आज भी दिम...बचपन में कई बार नाचा देखा है और उनकी छवि आज भी दिमाग में बसी हुई है। गाँव में मँड़ई के दौरान उस समय लोग नाचा बुलवाते थे, जो रात के दस बजे से लेकर सुबह छ: बजे तक चलता रहता था। सुबह जब उजाला फैलने लगता था तब नाचा वाले गाते थे "सिता राम ले ले मोरे भाई... जाती के बेरा सिता राम ले ले"। नाचा शुरू होते से लेकर समाप्त होते तक पूरे समय लोग (बिना बोर हुए) देखते थे। उस समय बड़े लोग परियों को फ़रमाइशी गीतोंआनंदhttps://www.blogger.com/profile/08860991601743144950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-57119918069016714912008-02-03T14:57:00.000+05:302008-02-03T14:57:00.000+05:30रोचक..........रोचक..........anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.com