tag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post6618206859629563129..comments2024-02-29T08:28:48.349+05:30Comments on आरंभ Aarambha: 'अंकल' की घुसपैठ गांवों तक36solutionshttp://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-51911010804573743742008-07-20T13:38:00.000+05:302008-07-20T13:38:00.000+05:30निश्चय ही आपने सही मुद्दा उठाया है । वर्तमान संदर्...निश्चय ही आपने सही मुद्दा उठाया है । वर्तमान संदर्भो मे व्याख्या कुछ ऐसी ही है कि यदि आप अंग्रेजी बोलते है तो आप जेंटलमेन है हिन्दी बोलते है तो सज्जन है और अगर छ्त्तीसगढी बोल रहे है तो देहाती है !!!!दीपकhttps://www.blogger.com/profile/08603794903246258197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-67855883240644313092008-07-19T22:09:00.000+05:302008-07-19T22:09:00.000+05:30भाई पंडित जी,आप और मैं एक जैसे ही हैं,कभी कभी हमने...भाई पंडित जी,<BR/>आप और मैं एक जैसे ही हैं,<BR/>कभी कभी हमने भी अपने चेहरे पर रंग रोगन करवा लेना चाहिए ,<BR/>मजदूर तों श्रेष्ठता प्रर्दशित कर रहा था पर उन लड़कियों का भी तों सोचो जो अभी हमसे सिर्फ ७/८ साल छोटी है और हमें अंकल कह कर रास्ता मांगती हैं.<BR/>३६ सिटी मॉल आज कल ऐसी दुर्घटनाओं का अड्डा बन गया है....<BR/>हा हा हा ......Awasthi Sachinhttps://www.blogger.com/profile/16532107312358072764noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-50181152141098265472008-07-19T19:01:00.000+05:302008-07-19T19:01:00.000+05:30असहमति के लिए माफ़ कीजिये. मुझे आपका गुस्सा बिल्कु...असहमति के लिए माफ़ कीजिये. मुझे आपका गुस्सा बिल्कुल समझ नहीं आया. उस गरीब मजदूर ने अपने लिए नहीं, आपके लिए अंकल बोला था. आपको आदर देने के लिए. दूसरी बात यह कि हम अगर ख़ुद अपने सिद्द्तंत से हटते हैं तो अपने आप को तमाचा मार सकते हैं परन्तु अपने सिद्धांत दूसरों पर थोपने की कोशिश करना तो अच्छी बात नहीं है. मान लीजिये वह मजदूर आपको अंकल की जगह ठेठ हिन्दी में दादाजी कहता तो भी शायद आप उसे तमाचा ही मरनेSmart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-39886238660870183582008-07-19T16:01:00.000+05:302008-07-19T16:01:00.000+05:30ह्म्म लोचा तौ होना ही रहिस हे गा, कोनो सियान ल ओखर...ह्म्म लोचा तौ होना ही रहिस हे गा, कोनो सियान ल ओखर मुंह उपरेच कोनो ह सियान कही तो गुसियाही नई का भला ;) फेर अंकल कहिस, अंकल तो जऊन मन ह सही म अंकल होथे तऊनो नई सुन सके तो जऊन अंकल नई हरे वो ह कइसे सुन लेही भला।<BR/><BR/>खैर मूल बात ल सही कहेस भैया तैंहा।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-59554771246346848712008-07-19T14:24:00.000+05:302008-07-19T14:24:00.000+05:30ab inconvenienti, अनिल भाई, समीर भाई, नीरज भाई व ज...ab inconvenienti, अनिल भाई, समीर भाई, नीरज भाई व ज्ञान भईया एवं सीमा जी आप सभी का धन्यवाद ।<BR/><BR/><BR/>नीरज जी आपका कहना सौ फीसदी सहीं है, पर मुझे शर्म क्यों आनी चाहिये मैंनें तो उन्हीं ठेकेदारों को लक्ष्य किया है जिनका आपने उल्लेख किया है और जो महाराष्ट्र में कुछ माह पहले हो चुका है । मैनें न ही उसे मारा ना ही उसे डांटा, हां मेरा अचानक वहां पहुच जाने से ही वह घबरा गया । बाकी के शव्द मेरे 36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-61833179783162596622008-07-19T09:44:00.000+05:302008-07-19T09:44:00.000+05:30छत्तीसगढी मजदूर अंग्रेजी का एबीसीडी नहीं जानता और ...छत्तीसगढी मजदूर अंग्रेजी का एबीसीडी नहीं जानता और हमें छत्तीसगढी बोलते सुनकर भी 'अंकल' कह कर अपने आप को श्रेष्ठ प्रदर्शित कर रहा है । प्रदर्शन प्रियता हमारे वस्त्रों से होते हुए अब बोलियों को भी लील रही है, और हम छत्तीसगढी अस्मिता के शंखनाद का ढकोसला कर रहे हैं ।<BR/>"apnee mnodsha or soch ko abheevykt kerne mey aap kmayab rhen hain"seema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-26645673682427500542008-07-19T08:01:00.000+05:302008-07-19T08:01:00.000+05:30आप जिस सिद्धान्त पर विश्वास करते हैं, उसका उल्लंघन...आप जिस सिद्धान्त पर विश्वास करते हैं, उसका उल्लंघन क्रोधित तो करता है। पर उसे सीधे अभिव्यक्त करने में समाधान भी नहीं निकलता। <BR/>हां, आपकी भाषाई शुचिता की चाह प्रभावित करती है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-85472621700855540262008-07-18T23:46:00.000+05:302008-07-18T23:46:00.000+05:30आपको आपके व्यवहार पर शर्म नहीं आयी ?सिर्फ़ इसलिये उ...आपको आपके व्यवहार पर शर्म नहीं आयी ?<BR/><BR/>सिर्फ़ इसलिये उस मजदूर को डांट डपट दिया कि उसने आपको अंकल बोला और उसे अंकल की अंग्रेजी नहीं आती । मान लीजिये उसने अंकल की स्पेलिंग बता दी होती तो क्या आप उससे माफ़ी मांगते ठेठ छत्तीसगढिया में ?<BR/><BR/>क्या बुराई है अंकल में, उसके मन में आता है तो बोलने दीजिये । आपके व्यवहार और वैलेंटाइन दिवस पर हंगामा करने वालों के व्यवहार में क्या अंतर है । आखिर वो Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-56429045394752619742008-07-18T23:06:00.000+05:302008-07-18T23:06:00.000+05:30चिन्तन स्वभाविक है मगर इत्ता गुस्सा ठीक नहीं है भा...चिन्तन स्वभाविक है मगर इत्ता गुस्सा ठीक नहीं है भाई!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-40724986862182386542008-07-18T21:24:00.000+05:302008-07-18T21:24:00.000+05:30sanju bhaiya naraaz mat hona angrezi me likh raha ...sanju bhaiya naraaz mat hona angrezi me likh raha hun.naraaz hona swabhavik hai lekin afsos bat sahi hai.ab sukalu,dukalu,itwaari,samaru,manglu,budharu,derha,kahin milte hai.aadmi to door ab gharon ke kutte bhi sheru,rajaa,kalu moti na hokar tiger tommy aur puppy ho gayen hai.khiar unki wo jaane iska matlab ye nahi hai ki hum bhi waise hi ho jayen.gussa bana rahe.kabhi raipur aao to zarur milo,Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4449669799777792210.post-5769761656061508572008-07-18T18:37:00.000+05:302008-07-18T18:37:00.000+05:30रीतीक, खुशी, सुजल, कोएना, नताशा, सोनिया, सानिया .....रीतीक, खुशी, सुजल, कोएना, नताशा, सोनिया, सानिया ....... ........ ....... सोचिये इन नामों वाले ज्यादातर बच्चे कहाँ मिलेंगे? मध्यप्रदेश के देहाती इलाकों में सेलिब्रिटी और फ़िल्म-टीवी वाले नाम सबसे 'हॉट' हैं. दूसरे नंबर पर अर्धशिक्षित शहरी निम्न-मध्यवर्ग है. भाईसाहब, बदलती दुनिया के साथ ढलने की कोशिश है. एक बार इंदौर स्टेशन पर नैरो गेज का टिकिट खरीदते समय एक अधेड़ निमाड़ी महिला (ग्रामीण, शायद ४५ ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.com