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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

खुमान साव का अविस्मरणीय नागरिक अभिनंदन


  • छत्तीसगढ़ अंचल के साहित्यकारों और कलाकारों ने चंदैनी गौंदा के संगीत निर्देशक का किया भावभीनी सम्मान

राजनांदगांव, 5 सिमम्‍बर 2018, भारत सरकार द्वारा संगीत नाटक अकादमी सम्मान से विभूषित छत्तीसगढ़ी लोक सांस्कृतिक मंच 'चंदैनी गोंदा' के संगीत सर्जक श्री खुमानलाल साव के नागरिक अभिनंदन समारोह में छत्तीसगढ़ अंचल के साहित्यकार और कलाकार बड़ी संख्या में यहां पहुंचे और सभी ने श्री साव का अभिनंदन कर लोक संगीत के प्रति उनके समर्पण का सम्मान किया।
श्री साव के 89वें जन्मदिवस के अवसर पर बुधवार को स्थानीय म्युनिस्पल स्कूल के गांधी सभागृह में चंदैनी गोंदा परिवार और अंचल के सांस्कृतिकर्मियों द्वारा उनके नागरिक अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया था। समारोह की अध्यक्षता भिलाई के वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने की।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ हुआ। अतिथियों ने सामूहिक रूप से शाल, श्रीफल, अंग वस्त्र और स्मृति प्रतीक चिन्ह भेंट कर छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के भीष्म पितामह खुमानलाल साव का भावभीनी अभिनंदन किया। आयोजक समिति चंदैनी गोंदा के कलाकारों ने अपने पितृ पुरूष श्री साव का शाल श्रीफल एवं अभिनंदन पत्र भेंटकर उनका आत्मीय अभिनंदन किया। अभिनंदन पत्र का वाचन दुर्ग के युवा साहित्यकार संजीव तिवारी ने किया।
अभिनंदन के क्रम में छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आये लोक कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों, विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्था के पदाधिकारियों ने बारी-बारी से श्री साव का अभिनंदन किया।
समारोह में अपना अध्यक्षाय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री रवि श्रीवास्तव (भिलाई) ने कहा कि एक विकास यात्रा आज डोंगरगढ़ से और एक सांस्कृतिक यात्रा राजनांदगांव से शुरू हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा आत्मीय कार्यक्रम पिछले 40-50 वर्षों में उन्होंने आज तक नहीं देखा। जिस विद्यालय में खुमान साव ने नौकरी की उसी विद्यालय के प्रांगण में अभिनंदन होना बड़ी बात है। डेढ़ घंटे से अधिक समय तक खुमान जी के चेहरे पर प्रसन्नता व्यक्त हो रही थी। ऐसा दृश्य देखने में नहीं आता। बनावट नाम की कोई चीज नहीं थी। उन्होंने कहा कि राजनांदगांव में खुमान साव का सम्मान से बहुत बड़ा काम हुआ है। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि समाज के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वालों का सम्मान समय रहते हो जाना चाहिए। हम उनके व्हील चेयर में आने का इंतजार क्यों करें? उन्होंने स्थानीय सर्वेश्वरदास नगर पालिक निगम स्कूल के प्राचार्य कक्ष में श्री खुमानलाल साव की तस्वीर लगाने की मांग की।
चंदैनी गोंदा की निर्माण प्रक्रिया के साक्षी रहे सुप्रसिद्ध गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया ने कहा छत्तीसगढ़ी की अस्मिता को असल रूप में बचाने का काम खुमान साव ने किया। उनकी प्रतिभा का कद्रदान पूरा छत्तीसगढ़ है। खुमान साव का धुन लोगों को यहां खींच लाया है। उन्होंने कहा कि खुमान साव नहीं रहते तो रामचंद्र देशमुख का अस्तित्व नहीं होता। उनका संगीत नीरस आदमी को भी नचवा देती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ को रसमय बनाया। उनके हरमोनियम से जागृति आ जाती है। खुमान साव ने छत्तीसगढ़ को बदल दिया। श्री साव के नकल के बिना कुछ नहीं हो सकता। छत्तीसगढ़ी के संस्कार को बढ़ाने के लिए खुमान साव का अवतार हुआ है।
वरिष्ठ कवि मुकुंद कौशल ने कहा कि राजनांदगांव में खुमान साव का परिचय देना मां को मामा को परिचय देने के समान है। श्री कौशल ने कहा कि मौलिक संगीत सर्जना की बेचैनी के कारण ही खुमान साव चैंदनी गोंदा से जुड़े। उन्होंने श्री साव को छत्तीसगढ़ की सांगातिक क्षेत्र का युग प्रवर्तक बताया।
वरिष्ठ कथाकार डा. परदेशी राम वर्मा ने कहा कि खुमान साव छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के शलाका पुरूष हैं। सन् 70 के दशक के बाद लोक गीतों के विकास पर चंदैनी गोंदा का प्रभाव है। संगीत का उस समय कोई विकल्प नहीं था। श्री साव चंदैनी गोंदा की आत्मा के रूप में खड़े रहे। उन्होंने जोर देकर कहा कि चंदैनी गोंदा की पूरी ताकत खुमान साव ही रहे हैं।
लोक सांस्कृतिक संस्था दूध मोंगरा के निर्देशक डा. पीसीलाल यादव ने कहा कि चंदैनी गोंदा छत्तीसगढ़ की लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की गंगोत्री है। श्री यादव ने श्री साव को उदार कलाकार बनाया। उन्होंने कहा कि श्री साव को साहित्य की गहरी समझ है। श्री यादव ने कहा कि यदि किसी को स्वाभिमान सीखना है तो वे श्री खुमानलाल साव जी से सीखें।

लोक सांस्कृतिक संस्था लोकरंग (अर्जुंदा) के संचालक दीपक चंद्राकर ने कहा खुमान साव गुरू नहीं बल्कि महागुरू हैं। वे छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की पाठशाला हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें उनका सानिध्य मिला।
साहित्यकार श्रीमती सरला शर्मा ने कहा कि लोक गीतों का संकलन के साथ पुनर्प्रस्तुतिकरण, प्राचीन लोकगीतों का परिस्कार करना और नये कवियों की रचनाओं को सुर देना, इन तीन बातों के लिए खुमान साव को याद किया जाएगा। उनकी दीर्घकालीन तपस्या को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ में खुमान साव संगीत शोध पीठ की स्थापना की जानी चाहिए। श्रीमती शर्मा ने श्री खुमान साव अभिनंदन ग्रंथ के प्रकाशन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि श्री साव का असली अभिनंदन तब होगा जब उन्हें स्कूलों और कॉलेजों के पाठ्य क्रम में पढ़ाया जाएगा।
दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष अरूण कुमार निगम ने कहा कि पश्चिम बंगाल में जैसे रविन्द्र संगीत है वैसे ही छत्तीसगढ़ में खुमान संगीत को स्थापित किया जाना चाहिए। सभा को गीतकार श्री केदार दुबे (बिल्हा), साहित्यकार कुबेर साहू राजनांदगांव ने भी संबोधित किया। वक्ताओं के उद्बोधन के बाद चंदैनी गोंदा के कलाकारों ने चंदैनी गोंदा की संक्षिप्त प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति को देखकर दर्शकगण भाव विभोर हो गये। समूचे कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने किया। अस्वस्थ होने के कारण खुमान साव पूरे पांच घंटे तक व्हील चेयर पर रहे और लोगों का अभिनंदन स्वीकार करते रहे। (रिपोर्टिंग : वीरेन्‍द्र बहादुर सिंह)

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