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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

छत्तीसगढ़ में लोक संगीत के नागरी प्रस्तुति का बीजारोपण

प्रतिवर्ष की भांति 1948 में राजनांदगांव में गुजराती समाज के द्वारा दुर्गोत्सव मनाया जा रहा था। उस समय बीड़ी के व्यापारी मीरानी सेठ के घर के सामने दुर्गा रखा हुआ था। दुर्गा पंडाल में इस वर्ष भी शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम रखा गया था जिसमें रायपुर के प्रसिद्द संगीतकार अरुण सेन आमंत्रित थे। कार्यक्रम के बीच में सुगम और फ़िल्मी संगीत भी रखा गया था ताकि दर्शक शास्त्रीय संगीत से बोर न हों। इसमें खुमानसाव को फिल्मी संगीत की प्रस्तुति के लिए बुलाया गया था। इस कार्यक्रम में खुमान साव ने कुछ फिल्मी गीत प्रस्तुत किए जिसमें 'घर आया मेरा परदेसी' जैसे गाने प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम सुनने वालों ने खुमान संगीत को बहुत पसंद किया। उसी दिन खुमान साव ने यह निश्चय किया कि महानगरों की भांति राजनांदगांव में भी एक आर्केस्ट्रा पार्टी का निर्माण किया जाए। इस कार्यक्रम से ही छत्तीसगढ़ में आर्केस्ट्रा पार्टी की परिकल्पना ने पहली बार पंख पसारा। इसी वर्ष दुर्गा पक्ष के बाद ही खुमान साव ने खुमान एण्ड पार्टी के नाम से आर्केस्ट्रा पार्टी का गठन किया। उस समय महिलाएं आर्केस्ट्रा में नहीं गाती थीं। जो पुरुष गा