आरंभ Aarambha सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जनवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

समाचार : अपना सिर्फ दो हजार लगाएं,बनाएं शौचालय

राजधानी में भारत स्वच्छता मिशऩ में आड़े आ रही जमीन की कमी राजधानी में मात्र 5,649 पात्र हितग्राही, हो चुका सर्वे रायपुर। भारत स्वच्छता मिशन के अंतर्गत अब आप मात्र दो हजार रुपए में स्वयं का शौचालय बनवा या बना सकते हैं बशर्ते आपका नाम निगम द्वारा किए गए सर्वे में शौचालय विहीन घर के रुप में आया हो। केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित इस योजना के संचालन में राजधानी की गरीब बस्ती में जमीन की अनुपलब्धा प्रमुख अड़चन के रूप में सामने आ रही है। नगर पालिका निगम के भारत स्वच्छता मिशऩ के नोडल अधिकारी अभियंता हरेन्द्र साहू बताते हैं कि इस योजना में एपीएल बीपीएल का कोई लफड़ा नहीं है राजधानी का कोई भी किसी भी श्रेणी का व्यक्ति अगर उसके घर में शौचालय नहीं है और उसके पास शौचालय बनवाने लिए जमीन है तो उसे इस योजना में शामिल किया जाएगा। चाहे फिर वह करोड़पति ही क्यों न हो। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि दो हजार रुपए में आप शौचालय बनवाने में सक्षम होंगे बल्कि स्वच्छता मिशन के माध्यम से आपको 18 हजार की सब्सीडी मिलेगी जिसका उपयोग कर आप शौचालय बनाने या बनवाने में कर सकते हैं। इसके अलावा अगर आप अपने शौच

डॉ.विष्‍णु सिंह ठाकुर : छत्‍तीसगढ़ के जीवंत ज्ञान कोश

डॉ विष्णु सिंह ठाकुर का जन्म 18 अगस्त 1933 को रायपुर जिले के सुंदर केरा गांव में हुआ था। आपने अपनी स्कूली शिक्षा रायपुर में ग्रहण की। ठाकुर जी की आर्थिक स्थिति उस समय अच्छी नहीं थी इसलिए उन्होंने आगे की शिक्षा को रोककर, शिक्षण का कार्य अपना लिया। वे अंबागढ़ चौकी के स्कूल में प्राथमिक शिक्षक के रूप में कार्य करनें लगे। ज्ञान के प्रति उनकी ललक शायद शुरु से ही रही होगी इसलिए, इस बीच उन्होंने अपनी नौकरी से अवकाश लेकर स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षा देने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय चले गए। उन्होंने वहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने पश्चात डॉ राजबली पांडे के मार्गदर्शन में ‘प्री हिस्ट्री एंड आर्कियोलाजी ऑफ दक्षिण कोसला’ विषय पर पीएच डी की उपाधि अर्जित की। इसके पश्चात वे दाउ कल्याण सिंह महाविद्यालय बलौदा बाजार में इतिहास के प्राध्यापक नियुक्‍त हो गए। सन 1972 में उन्होंने दुर्गा महाविद्यालय रायपुर में एक अध्यापक के रूप में कार्य शुरू किया और अपनी सेवानिवृत्ति तक वही कार्य करते रहे। डॉ. विष्‍णु सिंह छत्तीसगढ़ के ज्ञान कोश के रूप में जाने जाते रहे हैं। छत्तीसगढ़ के संबंध में ऐसा कौन सा क्षेत्र था