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फ़रवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का प्रादेशिक सम्मेलन, 2015

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रचार—प्रसार हेतु एवं छत्तीसगढ़ी को राज काज की भाषा बनानें हेतु दो दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन का आयोजन दिनांक 20 व 21 फरवरी 2015 को किया जायेगा। इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग मुखरता से रखी जावेगी। आयोजन स्थल देवकी नंदन सभाकक्ष, लाल बहादुर स्कूल, सिटी कोतवाली चौक, बिलासपुर होगा। बिलासपुर में आयोजित इस प्रादेशिक सम्मेलन के स्वागताध्यक्ष नंद किशोर तिवारी, आर.सी.सिन्हा सचिव—संस्कृति एवं पर्यटन, राकेश चतुर्वेदी संचालक—संस्कृति एवं पुरातत्व, संयोजक पद्मश्री डॉ.सुरेन्द्र दुबे, अध्यक्ष डॉ.विनय कुमार पाठक, सह संयोजक डॉ.सुधीर शर्मा, सचिव मनोज भंडारी हैं। कार्यक्रम के संबंध में विवरण इस प्रकार हैं — 20 फरवरी 2015 सुबह 9 से 11 बजे तक पंजीयन एवं स्वल्पाहार सुबह 11 से 12 बजे तक छत्तीसगढ़ी और मराठी के बीच अंतर संबन्ध डॉ.मधुप पाण्डेय, कवि व्यंग्यकार नागपुर मूल कृति 'मॉं' की अनुवादित कृति 'दाई' का वाचन डॉ.विनय कुमार पाठक द्वारा पहला सत्र दोपहर 12.00 से 1.30 बजे तक गुना

देवबलोदा का शिव मंदिर (Dev Baloda)

सघन वन वल्लारियों से आच्छादित मेकल, रामगढ़ तथा सिहावा की पर्वत श्रेणियों से सुरक्षित एवं महानदी, शिवनाथ, खारून, जोंक, हसदो आदि कई छोटी बड़ी नदियों से सिंचित छत्तीसगढ़ प्राचीनकाल में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। इन नदियों के तट और घाटियों में न जाने कितनी सभ्यताओं का उदय, विकास और अस्त कालगति के अनुसार होता रहा, जिनके अवशेष अभी भी अनेक स्थानों पर बिखरे हुए हैं और उनके प्राचीन महत्व और गौरव की महिमा का गुणगान करते नहीं अघाते हैं। ऐसा ही एक प्राचीन स्थल दुर्ग के पास है- देव बलोदा। प्राचीनकाल में देव मंदिरों के लिए प्रसाद शब्द का प्रयोग किया जाता था। प्रसाद का अर्थ होता है वह स्थल जहां मन प्रसन्न हो। जिनकी रमणीयता से देवताओं और मनुष्यों के मन प्रसन्न होते हैं- वे प्रसाद है। इसीलिए प्रसाद या देवमंदिरों के निर्माण के लिए सुरम्य स्थलों का चुनाव किया जाता था। वराहमिहिर लिखते हैं कि वन, नदी, तालाब, पर्वत, झरनों के निकट की भूमि और उद्यान मुक्त नगरों में देवता सदा निवास करते हैं, इसलिए प्राचीनकाल में देव मंदिरों का निर्माण रम्य स्थानों पर कराया जाता था। छत्तीसगढ़ के प्राचीन मंदिर भ

अपने ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस (adsense) कैसे लगायें

आपको ज्ञात ही होगा कि, गूलग नें हिन्‍दी ब्‍लॉगरों के लिए गूगल एडसेंस के द्वारा खोल दिए हैं. बहुत से हिन्‍दी ब्‍लॉगर साथी अपने ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस लगाने की विधि की जानकारी हमसे लगातार पूछ रहें हैं. हम अपने साथियों के लिए अपने ब्‍लॉग में एडसेंस लगाने की क्रमबद्ध जानकारी इस पोस्‍ट में देनें का प्रयास कर रहे हैं. जिससे कि आप अपने ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस आसानी से लगा पायेंगें. सबसे पहले अपना ब्‍लॉगर में लागईन होईये. डेशबोर्ड खुलेगा, आप अपने जिस ब्‍लॉग में गूगल एडसेंस लगाना चाहते हैं उसके दाहिनें तरफ एक छोटा एरो की दिखेगा. उसे क्लिक करने पर नीचे दिए गए चित्रानुसार एक विकल्‍प पट्टी खुलेगी. जिसमें अर्निंग विकल्‍प को क्लिक करें. चित्र क्र.1 अब नीचे दिए गए चित्रानुसार पेज आयेगा जिसमें साईनअप फार एडसेंस को क्लिक करें - चित्र क्र. 2 इसके बाद नीचे दिखाये गए चित्रानुसार पेज खुलेगा जिसमें दो विकल्‍प हैं. पहला- यदि आप अपने मौजूदा जीमेल एकाउन्‍ट से लागईन होना चाहते हैं तो एवं दूसरा- यदि आप मौजूदा जीमेल एकाउन्‍ट से अलग नया एकाउन्‍ट बनाना चाहते हैं तो-   चित्र क्र. 3  पहल

छत्तीसगढ़ में ई स्टैम्प (eStamp) की वापसी या निरस्तीकरण

छत्तीसगढ़ में नान ज्यूडिशियल स्टाम्प के पारम्परिक कागजी स्टाम्प के साथ ही ई—स्टाम्प की सुविधा पिछले वर्ष से आरम्भ की गई है। इससे संपत्तियों के पंजीकरण में देय मुद्रांक शुल्क (स्टाम्प ड्यूटी) की उप्लब्धता सहज हुई है वहीँ कम राशि के स्टाम्प की हो रही कालाबाजारी बंद हुई है। तथाकथित रूप से नान ज्यूडिशियल स्टाम्प के पारम्परिक कागजी स्टाम्प वेंडरों पर आरोप लगाया जाता था कि वे, 10-50 रू. के स्टाम्प मांगने पर मूल्य से ज्यादा रकम खरीददार से वसूलते थे। ई—स्टाम्प केन्द्रों के खुल जाने से जनता को शपथ—पत्र एवं अनुबंध आदि के लिए, दिन प्रतिदिन लगाने वाले 10 रू. एवं 50 रू. के स्टाम्प खरीदने में सुविधा हो रही है। इसी के साथ ही ई—स्टाम्प केन्द्रों में स्टाम्प पेपर खरीदने से इसके तेलगी (नकली) होने का खतरा भी नहीं होता। ई—स्टैम्प के फायदे एवं इसकी सहज उपलब्धता को देखते हुए मैं लगातार आवश्यक मुद्रांक शुल्क का भुगतान इसी के माध्यम से कर रहा हूं। पिछले महीनें मै दुर्ग के ई—स्टाम्प केन्द्र से अपने मुवक्किल के लिए अलग—अलग नाम से 50000/— रू. का दो स्टाम्प खरीदा। उक्त स्टाम्प बैंक मार्टगेज के लिए क्रय क