विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
ब्लॉगर बी.एस.पाबला, जी.के.अवधिया व नवीन प्रकाश |
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय ब्लॉगर बी.एस. पावला, जी.के. अवधिया तथा नवीन प्रकाश को तथा फेसबुक सोशल मीडिया संगवारी में वाल पोस्ट लिखने वाले कल्पेश पटेल, अमरजीत सिंह तथा सुधीर तंबोली को 'संगवारी पोस्ट अवार्ड' से सम्मानित किया गया। सम्मानित ब्लॉगरों एवं फेसबुक वाल टीपण लेखकों को 7001/- रूपये की नगद राशि सम्मान स्वरूप प्रदान किया गया।
यह कार्यक्रम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित राधाकिसन स्मृति राष्ट्रीय वैचारिक अनुष्ठान की कड़ी थी जिसमें सुपरिचित लेखक, निर्देशक, अभिनेता तथा चाणक्य और उपनिषद गंगा के निर्माता डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी, अरविंद पथक, तथा सुरेश नीरव, वरिष्ठ पत्रकार तथा माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष संजय द्विवेदी नें परंपरा और आधुनिकता के संदर्भ में अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम विवरण एवं विचारकों के वक्तव्य फेसबुक संगवारी समूह सहित कुछ समाचार पत्रों के साईट पर एवं भड़ास के पोस्ट पर उपलब्ध है। साथी ब्लॉगर बी.एस. पावला, जी.के. अवधिया तथा नवीन प्रकाश को बहुत बहुत बधाई। ब्लॉगरों को प्रोत्साहित करने के लिए गिरीश मिश्र जी को विशेष धन्यवाद। संगवारी समूह के संगियों से अनुरोध कि फेसबुक वाल टीपण के साथ ही अपने विचारों को ब्लॉग के माध्यम से भी प्रस्तुत करें ताकि जो फेसबुकिए नहीं हैं उन तक भी आपके विचार पहुच सकें एवं आलेखों, विमर्श शीर्षकों की क्रमबद्ध व खोज विकल्पों के सहारे आपका वक्तव्य 21x7 जीवंत रहे।
बधाई सभी को…शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंसभी को बहुत बहुत बधाइयाँ!!!
जवाब देंहटाएंआप सबको ढेरों बधाइयाँ..
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ||
विलक्षण विभूतियाँ -बधाई !
जवाब देंहटाएंसाहित्य की सेवा में सदैव अग्रसर विभूतियों को
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई ......हार्दिक शुभकामनाएं
सब को ह्रदय से शुभकामनाएं
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