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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

हमनाम तुझे सलाम!

ब्लाॅग जगत में अगस्त २००६ से एवं नियिमत हिन्दी ब्लॉगिंग में अप्रैल २००७ से हूं, हिन्दी ब्लॉगिंग के आरंभिक स्पंदनों से हुंकार तक के सफर में साथ हूं. जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मेरे ब्लॉग 'आरंभ' का यूआरएल http://www.aarambha.blogspot.in है. मेरे ब्लॉग में मुख्यत: छत्तीसगढ से संबंधी जानकारी होती है.

आज कई साथियों की शिकायत रही कि मेरे ब्लॉग में पोर्न सामाग्री है एवं पोस्ट दूसरी भाषा में है. देखने पर ज्ञात हुआ कि मेरे ब्लॉग 'आरंभ' से मिलता जुलता नेपाली भाषा का एक ब्लॉग है, उसका नाम भी अंग्रेजी में आरंभ http://arambha.blogspot.in है, उसके संचालक हैं नेपाल के पत्रकार प्रकाश गिरी जी. प्रकाश जी के इस ब्लॉग के ताजा पोस्ट में स्त्री वक्ष से संबंधित कुछ लिखा गया है और चित्र लगाए गए हैं. 

मेरा ब्लॉग आपके सामने है ... 

टिप्पणियाँ

  1. इसका एक मतलब ये भी हो सकता है कि आरंभिक स्पन्दन से हुंकार के जमाने तक के ब्लॉगर के रूप में आप बहुत ज्यादा अनुभवी है ! आपको नेपाली आती है और स्पेलिंग में ज़रा अंतर करके आपने नया ब्लाग बनाया है और खुद ही उसके संचालक पत्रकार प्रकाश गिरी भी बन गये हैं और उन विषयों पर लिख रहे हैं जिन पर संजीव तिवारी के नाम से नहीं लिख सकते :)

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  2. यह ध्यान देने लायक बात है कि क्षेत्रीय संस्कृति / आंचलिकता , आपका प्रिय विषय है इसलिए एक ब्लॉग में छत्तीसगढी और दूसरे ब्लाग में नेपाली का संवर्धन कर रहे हैं आप :)

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  3. हे भगवान! अब तो ये नई समस्या है. कल को हमारे हमब्लॉग नाम से भी कोई ऐसा धमाल करे तो बड़ी समस्या हो जाएगी!

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  4. AAPAKA BLOG Aarambha hai aur param aadarniy shri
    1oooooooooooo108 GIRI JI ka BLOG http://arambha.blogspot.in HAI.
    http://aarambha.blogspot.in.
    AAP PAR HAMARA BHAROSA HAI .SO AAP KUKT HAST SE
    APANA YOGADAN YATHAWAT DEN .SHESH ISHWAR PAR CHHODEN.

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  5. हमें तो बस आपका ही ब्लॉग ज्ञात है।

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  6. येल्लो... अब इसका कोई क्या करे...

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  7. लगा कि कोई माटी प्रमी ब्‍लागर ने आ कर आपका हाथ तो नहीं थाम लिया है.

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  8. हम भी केवल आपके 'आरम्भ' को जानते हैं, यह एक धरोहर की तरह है.

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  9. kya bat hai ... filmo me hamshakl to dekha suna tha .....ab blog jagat me bhi hamnam....hamshakal.. jab diggajo ke sath ye ho rha hai to naye blogar kya kare..........
    chhattishgarhi bhasha, bane he sanjeev ji, nepal border dahar jhan ja......:)

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  10. अरे मेरे हम नाम से ये कौन आपको दोबार टिपिया गया ! कहीं किसी ने मेरा ब्लॉग क्लोन तो नहीं बना लिया !
    संजीव जी आप तो शरीफ आदमी हैं कौन विश्वास करेगा कि आप स्त्री के अंगों पर इतना इंटरेस्ट पब्लिकली लेंगे :)

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  11. अली जी की टिप्पणियों से असहमत होने का कोई तात्कालिक कारण समझ में नहीं आ रहा। :)

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  12. मामला कंटेंट स्पूफिंग का है , लेकिन जो भी हो, हम-नाम का यूँ ही मिलना रोचक है....

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आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

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