एबलॉन छत्‍तीसगढ़ी सिने अवार्ड : अनुज हीरो नंबर वन सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

एबलॉन छत्‍तीसगढ़ी सिने अवार्ड : अनुज हीरो नंबर वन

सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड टूरा रिक्शा वालाको
म्यूजिक, डांस और गीतों की रंगारंग प्रस्तुतियों के बीच 2010 में बनीं छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बेस्ट परफार्मर सोमवार शाम सम्मानित हुए। बेस्ट एक्टर का अवार्ड महूं दीवाना, तहूं दीवानीके हीरो अनुज शर्मा ने हासिल किया और 2010 की बेस्ट फिल्म का खिताब टूरा रिक्शा वालाके नाम रहा। एक बार फिर मनमोहन ठाकुर सर्वश्रेष्ठ खलनायक के रूप में पुरस्कृत हुए, जबकि बेस्ट एक्टेÑस का अवार्ड शिखा चितांबरे को मिला, जिसने टूरा रिक्शा वालामें अभिनय किया है। इसी फिल्म का निर्देशन करने वाले सतीश जैन बेस्ट डायरेक्टर के अवार्ड से नवाजे गए।
लंबे अंतराल के बाद छत्तीसगढ़ में ऐसा कार्यक्रम हुआ, जिसे एबेलॉन इवेंट्स ने आयोजित किया। जिंदल इस्पात के जीएम प्रदीप टंडन, ‘हरिभूमिसमाचार पत्र समूह के प्रबंध संपादक डा. हिमांशु द्विवेदी, एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश जग्गी, बीरगांव नगर पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश देवांगन, सुनील कालड़ा, विवेक सारडा, अरविंद अवस्थी, एबेलान के डायरेक्टर अजय दुबे आदि अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर संगीत और सम्मान के इस कार्यक्रम का शुभारंभ किया। एबेलान की ओर से अतुल्य चौबे ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कार्यक्रम के उद्देश्यों की जानकारी दी।
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवार्ड अनुज शर्मा ने डा. द्विवेदी के हाथों प्राप्त किया, जबकि श्री टंडन ने टूरा रिक्शा वालाके निर्माता और फिल्म की टीम को बेस्ट फिल्म का अवार्ड दिया। गायिका सीमा कौशिक के हाथों मनमोहन ठाकुर नवाजे गए। अवार्ड फंक्शन में 22 श्रेणी के अवार्ड दिए गए। हर तीन अवार्ड के बाद कलाकारों के स्टेज परफार्मेंस ने अवार्ड फंक्शन को दिलचस्प बना दिया। रात लगभग 8 बजे शुरू होकर साढ़े 11 बजे तक चले कार्यक्रम में छॉलीवुड की कई हस्तियां मौजूद थीं।
नाच उठे दर्शक - अवार्ड वितरण के पहले अनुज शर्मा ने अपनी टीम के साथ गीत और डांस पेश किए। मयाफिल्म का गाना कान मं बाली और गोरा-गोरा गाल...जब धमाकेदार म्यूजिक के साथ पेश हुआ, तो दर्शक झूम उठे। इसी तरह बईरी सजनके हीरो प्रदीप कौशिक ने भी अपने ग्रुप के साथ बेहतरीन डांस किया।
सीमा कौशिक के गाने टूरा नई जाने...पर जब प्रदीप और साथियों ने डांस किया, तो उठकर बाहर जा रहे दर्शक भी ठहर गए। ताली, सीटियां और चिल्लाने की आवाज शहीद स्मारक सभागार में गूंजने लगी।
इन्हें मिला अवार्ड -
सर्वश्रेष्ठ फिल्म                   टूरा रिक्शा वाला (निर्माता- रॉकी दासवानी)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता               अनुज शर्मा (महूं दीवाना, तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री               शिखा चितांबरे(टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक                 सतीश जैन (टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ संगीतकार             दुष्यंत हरमुख (मया दे दे मयारू)
सर्वश्रेष्ठ गीतकार                कुबेर गीतपरिहा (टूरा रिक्शा वाला, महूं दीवाना तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ कहानी                  स्व. प्रेम साइमन (मया दे दे मयारू)
सर्वश्रेष्ठ संवाद                   पं. सुदामा शर्मा (गुंरावट, टूरी नंबर वन, हीरो नंबर वन)
सर्वश्रेष्ठ खलनायक              मनमोहन ठाकुर (टूरी नंबर वन, महूं दीवाना-तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता          शशिमोहन सिंह (मया दे दे मयारू)
सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री          संजू साहू (महूं दीवाना-तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ हास्य कलाकार        हेमलाल कौशल (टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेता       रजनीश झांझी (हीरो नंबर वन)
सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री       उपासना वैष्णव (महूं दीवाना, तहूं दीवानी, हीरो नंबर वन)
सर्वश्रेष्ठ एक्शन                  एस.कुडूं तुरू बाबू ( टूरा रिक्शा वाला, महूं दीवाना तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार         आदेश गुप्ता (टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ गायक                   सुनील सोनी (मया दे दे मयारू, महूं दीवाना तहूं दीवानी)
सर्वश्रेष्ठ गायिका                 अलका चंद्राकर (महूं दीवाना तहूं दीवानी, टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर          तरुण निषाद (मया दे दे मयारू)
सर्वश्रेष्ठ संपादन                 शैलेंद्रधर दीवान (टूरा रिक्शा वाला)
सर्वश्रेष्ठ कैमरामैन               दिनेश ठक्कर (हीरो नंबर वन)
लाइफ टाइम अचीवमेंट        स्व. विजय कुमार पांडेय (घर-द्वार),
एवार्ड                             मनु नायक (कहि देबे संदेश) 
शूटिंग में व्यस्त रहे कुछ विजेता - बेस्ट डायरेक्टर सतीश जैन और हीरोइन शिखा चितांबरे शूटिंग के सिलसिले में विशाखापटनम में हैं, जो इस कार्यक्रम में नहीं पहुंच सकीं। श्री जैन का अवार्ड श्रीमती जैन ने प्राप्त किया, वहीं शिखा के भाई ने उनका अवार्ड लिया। घर द्वार के निर्माता स्व. विजय कुमार पांडेय के नाम का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड उनकी धर्मपत्नी, भनपुरी की पूर्व पार्षद चंद्रकली पांडेय ने प्राप्त किया। संगीतकार दुष्यंत हरमुख, एक्शन मास्टर एस. कुंडूतुरू बाबू आदि भी नहीं पहुंच सके, जिनकी जगह यूनिट के दूसरे सदस्यों ने अवार्ड प्राप्त किया।
गुइंया रे गुइंया... - बईरी सजनने कोई भी अवार्ड भले न हासिल की हो, लेकिन पूरे फंक्शन में उसी फिल्म के गानों का जोर था। रानू खान ने इसी फिल्म के आइटम सांग में शानदार परफार्म किया, जबकि सीमा सिंह ने गुइंया रे, गुइंयागाने पर समूह नृत्य की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मौजूद सीमा कौशिक से गाने की फरमाइश करने वाले पूरे समय चीखते-चिल्लाते रहे।
बोरे बासी ल खाबो जी... - सुपरहिट फिल्म टूरा रिक्शा वालाके हीरो प्रकाश अवस्थी और बईरी सजन की हीरोइन सीमा सिंह विश्वकर्मा ने साइकिल रिक्शे को साथ लेकर उस फिल्म का गीत पेश किया, तो अवार्ड फंक्शन और दिलचस्प हो गया। गाने के अंत में कामेडीफूल अभिनय ने भी दर्शकों को खूब हंसाया।
भावुक हुए कलाकार - बेहतर काम करने वाले कलाकारों की ख्वाहिश रही है कि ऐसा फंक्शन हो, जिससे कलाकारों को प्रोत्साहन मिले और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का वातावरण निर्मित हो। यही कारण है कि अवार्ड लेने मंच पर पहुंचे कई कलाकार अपनी बातें कहते हुए बेहद भावुक हो गए। सर्वश्रेष्ठ चरित्र अभिनेत्री उपासना ने तो अपनी फिल्म की पूरी टीम को मंच पर बुलाकर अवार्ड सबके नाम कर दिया, जबकि सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता शशिमोहन सिंह ने अपने भीतर के कलाकार के जज्बातों का जिक्र करते हुए अवार्ड लिया। ठेठ छत्तीसगढ़िया पं. सुदामा शर्मा ने संवाद लेखन का अवार्ड लेते हुए कहा, यह उनके लिए बहुत बड़ा सम्मान है।
समाचार : हरिभूमि से साभार

टिप्पणियाँ

  1. सबको बधाई हो..................
    नियमित दर्शक के नाते जूरी सदस्यो‍ से परिचय की उत्कं‍ठा है।
    संजीव भैया साभार आपका.........

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  2. जम्मो ला गाड़ा गाड़ा बधाई.....
    हेमंत के उत्सुकता के घलो धियान रखे जाए :)

    जवाब देंहटाएं
  3. जम्मो कलाकार मन ला गाडा गाडा बधाई....
    ए मन हर छत्तीसगढ़ के नाव ल उजियारत रहय...
    जय छत्तीसगढ़... जय भारत..

    जवाब देंहटाएं
  4. उन्हें बहुत बधाइयाँ पर... अब अपने को कलाकार नहीं होने का दुःख साल रहा है :)

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