सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित : रिपोर्ट सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

सृजनगाथा के चौथे आयोजन में ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सम्मानित : रिपोर्ट

वेब पत्रिका सृजन गाथा डॉट काम एवं प्रमोद वर्मा स्मृति संस्थान के द्वारा छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रेस क्‍लब में आयोजित एक गरिमामय व्याख्यान एवं सम्‍मान समारोह  में आज हिन्‍दी ब्‍लॉग लेखन में उल्‍लेखनीय योगदान के लिए प्रदेश के ब्‍लॉगर संजीत त्रिपाठी सहित साहित्‍यकार व पत्रकारों का सम्‍मान किया गया।
सृजन गाथा डॉटकाम का यह चौथा आयोजन था। व्याख्यान में कविता क्या, कविता क्यों विषय पर प्रमुख व्याख्यान देते हुए इलाहाबाद से आए कवि, लेखक एवं समीक्षक प्रकाश मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि यश व धन कविता के शत्रु नहीं है पर कविता को मनुष्यता पर आधारित होना चाहिए कविता को कुरूपता से बचना चाहिए व उसे सहज भी होना चाहिए कविता की शुरूआत से आज तक कई परिवर्तन आए है। छंद लय रस से लेकर गद्यात्मक कविता का दौर भी आया है। उन्होने कहा कि गद्यात्मक कविता के माध्यम से भी भाव की अभिव्यक्ति की जा सकती है केवल निरा छंद कौशल ही कविता नहीं है। जिसमें संवेदना,संस्कृति एवं जीवन में संसार का भाव हो वही कविता है।  
व्याख्यान कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में गंगा प्रसाद बरसैया ने कहा कि कविता वेदों से शुरू होती है और मनुष्य जीवन में परिवर्तन के साथ चलती है। रस का संबंध मनुष्य की अनुभूति से है कविता में कड़ी शब्द साधना है। कविता धरती से दूर जाएगी तो वह समाप्त हो जाएगी। कविता सत्ता के भरोसे अधिक दिन तक जिंदा नही रह सकती है। जनता की बात हो वहीं कविता है, कविता लोगों की आंख खोलती है और आदमी को आदमी से जोड़ती है। आज कविता जमीन छोड़ दी है। धरती से दूर हो रही है। पाठक का संकट नही, कविता से आचरण का संबंध है। 
व्याख्यान पर अपनी टिप्पणी देते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी ने कहा कि कविता लिखने का प्रयोजन आनंद है। वरिष्ठ पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ ग्रंथ अकादमी के संचालक रमेश नैय्यर ने कहा कि जब तक इंसान व इंसानियत जिंदा है तब तक कवि को कविता करते रहना चाहिए। कविता रस संगीत से मुक्त नही हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार एवं दैनिक अमृत संदेश के प्रधान संपादक गोविंद लाल वोरा ने कहा कि कविता जोश पैदा करती है। मन से निकला भाव कविता है। जनसत्ता के संपादक अनिल विभाकर ने कहा कि कविता के लिए सर्वप्रथम पाठक होना जरूरी है। कविता का संबंध जीवन मूल्य से है और उसमें कमी आने के कारण पाठकों का संकट उत्पन्न हो गया है। 
कार्यक्रम के आरंभ में संस्था के संस्थापक वेब एवं इंटरनेट विशेषज्ञ तथा सृजनगाथा डॉट काम वेब पत्रिका के प्रधानसंपादक जयप्रकाश मानस ने अतिथियों का स्वागत किया। लघु कथा लेखक राम पटवा ने स्वागत भाषण में सृजनगाथा डॉट काम के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।  कार्यक्रम के द्वितीय सत्र सम्मान समारोह में सनत चतुर्वेदी पत्रकारिता क्षेत्र में , अशोक शर्मा  वेब तकनीक के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित किए गए।  रेडियों रंगीला के संपादक संदीप अखिल, फोटों पत्रकारिता के लिए नरेंद्र बंगाले,  लघु पत्रिका क्षेत्र में दीपांशु पाल,  इलेक्ट्रानिक मीडिया से संतोष जैन, कथालेखक कैलाश वनवासी, हिंदी ब्‍लॉग लेखन में योगदान के लिए संजीत त्रिपाठी का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.सुधीर शर्मा ने किया व आभार प्रदर्शन वरिष्ठ पत्रकार आरएनएस के संपादक एचएस ठाकुर ने किया ।

टिप्पणियाँ

  1. prakaash mishra ne kavita ke vishay men bahut sahee aur sundar vyakhyaan diya .. aapko sundar post ke liye badhayi

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  2. hamu aaye han ga samman samaroh ma.
    abhi tak le lahute nai han.

    au jammo ke bhasan ke record kare hanv.

    lekin tor chainal sab le tej have.

    jay ho.

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  3. बहुत बहुत बधाई ...पर सम्मानित होते
    वक़्त उन्होंने काले कपड़े क्यों पहने हैं :)

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  4. सभी साथियों को बहुत- बहुत बधाइयां ।
    खुशी हुई ।
    आशुतोष मिश्र

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  5. शुक्रिया आप सभी का, स्नेह बनाएं रखें.

    @ अली सा, ऐसा कोई विशेष प्रायोजन नहीं था काले कपडे पहनने का, बस सुबह से निकला हुआ था काम धाम में , सीधे कार्यक्रम में पहुँच गया.

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  6. Jai ho Sanjit Bhai ki,

    Pahli Blogger meet me mujhe yaad hai Sanjiv ji, Sanjeet ji or Ravi Ratlami ji sabhi saath the.

    Dusri meet me main yatra par tha tab sanjit ji ka phone aaya tha par is meet ka malal rahega ki mujhe pata hi nahi chala or Viprjano ne cheenka fod diya....

    Badhai Shat Shat Badhai Sanjit Bhai ko...

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  7. बहुत बहुत बधाई संजीत जी....ऐसे ही कई पुरस्कार मिलते रहें...शुभकामनाएं.

    सो सॉरी इतनी देर से यहाँ पहुँचने के लिए...और सच बता भी दीजिये...कि ब्लैक शर्ट पैंट में आप ज्यादा जंचते होंगे ( किसी ने कॉम्प्लीमेंट दिया होगा) इसीलिए पहने

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  8. "पुरस्कार मिलते रहें" को "सम्मानित होते रहें"...पढ़ें..
    सॉरी :)

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  9. बधाइयां जी बधाइयां
    आपके ब्लाग पर आकर अच्छा लगा। आशा है आपका प्रयास हिंदी ब्लागिंग को नई ऊंचाई पर ले जाएगा..
    ...
    इंटरनेट के जरिए अतिरिक्त आमदनी के इच्छुक साथी यहां पधारें- http://gharkibaaten.blogspot.com

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  10. बहुत बहुत बधाई। यूँ ही पुरुस्कार पाते रहो।
    घुघूती बासूती

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  11. संजीत बहुत-बहुत बधाई भविष्य में भी शिखर पर पहुंचिये। आपके साथ ही अन्य पुरस्कृत होने वाले बन्धुऒं को भी हार्दिक शुभकामनायें।

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  12. Congratulations! for the award. You truly deserve this .

    I am glad to hear this and a party is due now. When I will come to India , I will ask for the same.

    but let me tell you the menu-

    I like Jalebi, samosa and bhelpuri.

    and yes, Adrak ki chai ke bina sab kuchh adhura hai.

    जवाब देंहटाएं
  13. shukriya.

    jarur Divya ji, aap aaiye sab kuchh haajir rahega.
    chai bhale ham khud na pite hon lekin aapki manpasand chai jarur milegi

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बहुत बधाई संजीत जी....

    जवाब देंहटाएं

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