विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
आवत देवारी ललहू हिया, जावत देवारी बड़ दूर।
जा जा देवारी अपन घर, फागुन उडावे धूर ।।
भावार्थ - दीवाली का त्यौहार जब आता है तब हृदय हर्षित हो जाता है, और जब दिवाली आकर चली जाती है तो उसका इंतजार बहुत कठिन होता है, साल भर उसका इंतजार करना पडता है। हे दीपावली, उत्सवधर्मी हमने आनंद मना लिया अब तुम जावो और फागुन को अपनी धूल उडाने दो यानी हमें होली की तैयारी में मगन होने दो।
भांठा देखेंव दुमदुमिया, उल्हरे देखेंव गाय हो।
ओढे देखेंव कारी कमरिया, ओही नंनद के भाय हो।।
(भांठा - उंची सपाट भूमि, दुमदुमिया - बिना कीचड का सूखा, भाय - भाई)
भावार्थ - अपने पति का परिचय देनें की काव्यात्मक प्रस्तुति तुलसीदास जी नें सीता के मुख से रामचरित मानस में जैसे की है वैसे ही छत्तीसगढी महिला अपने पति का परिचय दे रही है। गांव के बाहर भांठा में गायों की भीड है वहां काले कम्बल ओढा हुआ जो छबीला पुरूष है वही मेरी नंनद के भईया अर्थात मेरे पति हैं।
धन गोदानी भुईया पावा, पावा हमर असीस।
नाती पूत लै घर भर जावे, जीवा लाख बरीस।।
भावार्थ - आर्शिवचन देते हुए कहता है कि आपका घर धन,गायों और भूमि सम्पत्ति से परिपूर्ण रहे, आप हमारा आशीष प्राप्त करें। आपका घर नाती-पोते से भर जाए और आप लाखो वर्ष जींए। यह अंत: करण से शुभकामना देना है।
वा भइया मजा आ गे. एखर वीडियो आडियो होही त कोनो कहीं चढ़ा देव
जवाब देंहटाएंबने लगीस औ होही त बताबे ..॥
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा राउत नाच से परिचय पाने पर!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।