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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

परितोष चक्रवर्ती व डॉ. परदेशीराम वर्मा की कृति माटीपुत्र और फक्‍कडनामा का विमोचन

भारतीय साहित्‍य प्रकाशन मेरठ से डॉ. परदेशीराम वर्मा जी की कहानी संग्रह 'माटीपुत्र' तथा शिल्‍पायन दिल्‍ली से प्रकाशित परितोष चक्रवर्ती की कृति 'फक्‍कडनामा' का विमोचन संत कवि पवन दीवान एवं पूर्व मंत्री भूपेश बघेल नें दिनांक 14 सितम्‍बर को भिलाई में किया. विमोचन उद्बोधन में संत कवि पवन दीवान नें कहा कि पाठक स्‍वतंत्र होता है, वह लेखक-कवि की तरह बंधनों में नहीं होता. जिसकी किताब पठनीय होती है उसे ही पाठक स्‍वीकारता है. माटीपुत्र और फक्‍कडनामा में पठनीयता का गुण भरपूर है. छत्‍तीसगढ़ के ये दोनों लेखक लगातार लिख रहे हैं. इन्‍होंनें लेखन में यश और महत्‍व दोनों प्राप्‍त किया है.

प्रख्‍यात कथाकार डॉ.रमाकांत श्रीवास्‍तव नें कहा कि परितोष चक्रवर्ती के लेखन में संघर्षशीलता हम देखते हैं. साहस के साथ वे सच को उद्घाटित करते हैं. परदेशीराम वर्मा महत्‍वपूर्ण कथाकर हैं. आंचलिक कथाकरों के संबंध में एक साक्षातकार में मैंनें बिहार के मिथलेश्‍वर और बुंदेलखण्‍ड के महेश कटारे तथा छत्‍तीसगढ के परदेशीराम वर्मा का विशेष उल्‍लेख किया हैं. ये तीनों कथाकार भारत के गांवों की अंतरूणी सच्‍चाई के जानकार हैं. परदेशीराम वर्मा की भाषा उनकी शक्ति है. वे संस्‍मरण से ज्‍यादा ताकतवर एक कहानीकार के रूप में दिखते हैं. सहज से दिखते समाज के संघर्ष को परदेशीराम वर्मा नें खूब पकडा है. आज कहानियों में जहां भाषा और शिल्‍प का चमत्‍कार दिखलाया जा रहा है वहां परदेशीराम वर्मा जैसे लेखक गहन कथ्‍य और भाषा की सहजता का संस्‍कार लेकर कथा की यात्रा आगे बढा रहे हैं.

रवि श्रीवास्‍तव नें दोनों कृतियों पर विषद समीक्षा करते हुए कहा कि छत्‍तीसगढ के अपने समय के दो महत्‍वपूर्ण रचनाकारों की किताबें आज विमोचित हो रही हैं जिसमें एक में व्‍यंग की मार है तो दूसरे में गा्रमीण जीवन की धार है. हिन्‍दी साहित्‍य जगत में परितोष चक्रवर्ती और परदेशीराम वर्मा दोनों नें लेखन में एक सम्‍मानजनक स्थिति को प्राप्‍त किया है. इन दोनों की अनवरत यात्रा जारी है, आशा है इन्‍हें और उंचाईयां मिलेगी. इस अवसर पर पधारे प्रसिद्ध रेडियो अनाउंसर व रंगकर्मी मिर्जा मसूद नें कहा कि परदेशीराम वर्मा के पास ऐसी भाषा है जो सम्‍मोहित करती है. अंचल का द्वंद अंचल की भाषा में इस तरह हिन्‍दी कहानियों में प्रस्‍तुत करने का प्रभावी प्रयास परदेशीराम वर्मा जी के कहानियों में नजर आती है. गांव-मेले-मडई, खेत-खार का वर्णन ऐसा है कि पाठक इनकी कहानियों में बंधा रह जाता है और छत्‍तीसगढ साकार हो उठता है.


अपने उद्बोधन में सप्रे पीठ के अध्‍यक्ष लेखक कथाकार परितोष चक्रवर्ती नें स्‍वीकारा कि मेरी किताब फक्‍कडनामा में बहुत से लोग हैं लेकिन राजनारायण मिश्र जी प्रमुख रूप से प्रभावी भूमिका में हैं. आभार व्‍यक्‍त करते हुए परदेशीराम वर्मा नें कहा कि परितोष चक्रवर्ती ऐसे जटिल व्‍यक्तित्‍व है जिससे निभा ले जाना कठिन साधना है. मैं इस साधना की सफलता के लिए स्‍वयं अपनी पीठ ठोक लेता हूं.


संजीव तिवारी

टिप्पणियाँ

  1. छत्‍तीसगढ के हिरा है हमारे लेखक बस इन्‍हे अपनों का साथ चाहिए ऐसे ही

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  2. IS JANKAREE KA DHANYAWAD. HINDI DIWAS KEE SHUBH KAMANAEN.

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  3. आभार इस विमोचन की जानकारी का.

    हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.

    कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.

    जवाब देंहटाएं
  4. आपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.

    आपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.

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