विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
कुछ अखबारों नें सूचना दी है कि अमिताभ बच्चन अपना ब्लाग बंद करने वाले हैं. यह समाचार अमिताभ बच्चन के करोड़ों प्रसंशकों को दुख पहुंचाने वाली है, क्योंकि यही वह अड्डा था जिसमें वे बिना प्रेस के नमक मिर्च के साथ प्रस्तुत होते थे. हालांकि इसके साथ ही बहुत से ब्लाग साथियों की यह भी शिकायत रही कि वे टिप्पणियों को तवज्जो नहीं देते.
अमिताभ के ब्लाग के संबंध में नित नई जानकारी देने वाले जोश नें ये पढ़ें वो पढ़ें करते हुए जो विवरण प्रस्तुत किया है उसके अनुसार अपने ब्लॉग पर निजी एवं भद्दी किस्म की टिप्पणियों से आहत अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ऐसी टिप्पणियां लिखने वालों को चेतावनी दी है कि या तो वे ऐसा करना बंद कर दें अन्यथा वह ब्लॉग लिखना बंद कर देंगे। बिग बी ने अपने ब्लाग ‘बिगबीडॉटबिगअड्डा’ पर लिखा है कि अपने ब्लॉग पर ऐसी टिप्पणियों को देखकर उन्हें ऐसा लगा मानो कलेजे में किसी ने शूल चुभा दी हो। उन्होंने लिखा है “ऐसे में मेरे पास यही विकल्प है। या तो आप ऐसा करना बंद कर दें या मैं ही बंद कर देता हूं।” बिग बी की इस चेतावनी से उनके प्रशंसक चिंतित हैं और वे अपने प्रिय अभिनेता से ब्लॉग बंद नहीं करने की गुजारिश कर रहे हैं।
अमिताभ ने लिखा है कि जब अपने ब्लॉग पर की जाने वाली टिप्पणियों को जबाव देने के लिये अपना ब्लॉग खोला और टिप्पणियों को पढ़ना शुरू किया तो यह देख उनका दिल भारी हो गया कि कई लोग इस माध्यम का इस्तेमाल एक दूसरे के खिलाफ अत्यंत निजी एवं आपत्तिजनक बातें करने के लिये कर रहे हैं।
जब मैं आखिरी टिप्पणियों तक गया तो यह देखकर दंग रह गया कि उनमें गाली गलौच का भी प्रयोग किया गया था इन्हें देखकर ऐसा लगा कि मेरी छाती में किसी ने छुरा घोंप दिया हो।
अमिताभ बच्चन क्या सोंचते हैं वो तो वही जाने, फिलहाल बिग अड्डा अमिताभ के नाम पर किसी ना किसी बहाने चर्चा में रहने का बहाना ढूंढ़ ही लेता है.
टिप्पणी में अभद्र भाषा का इस्तेमाल गलत है चाहे ब्लॉग किसी का भी हो |
जवाब देंहटाएंइन सज्जन से सहमत। रिडिफ पर टिप्पड़ियों के नाम से जो नंगई दिखती है, उसे देख लगता नहीं कि यह सभ्य लोगों की दुनियां है।
जवाब देंहटाएंउल - जलूल टिप्पणियों से तो हम ही आहात हो जाते हैं संजीव जी फिर वे तो एक सम्मानीय व्यक्ति हैं लोगों को उनके सम्मान का तो ध्यान रखना ही चाहिए वर्ना उनका विकल्प सही है ......!!
जवाब देंहटाएंज्ञानजी की टीप से शतप्रतिशत सहमत हूँ . वैसे ब्लॉग जगत सभ्य जनों का स्तम्भ रह नहीं गया है . उलजुलूल टीप कर ब्लागर की लेखन मानसिकता को तोड़ने की साजिशे भी की जाने लगी है की बाध्य होकर ब्लॉगर भावो को ब्लॉग में अभिव्यक्त करने में हिचकने लगे है या ब्लॉग को ही बंद कर लेने का फैसला कर लेते है . वैसे अभिताभ जी की इस मसले पर चिंता जायज प्रतीत होती है . आभार
जवाब देंहटाएंअमिताभ तो अमिताभ हैं और टिप्पणी उन्ही के अनुरुप होनी चाहिये चाहे कोई तारीफ़ हो या कोई प्रतिक्रिया!इस मसले पर उनका अपना नजरिया सही है!
जवाब देंहटाएंsanjeev ji,
जवाब देंहटाएंbig bee ka apna ka ek naam hai.
aise mein longon ko unke liye ashobhniy tippnni nahi karna chahiye.
Raj Kumar Sahu
janjgir
jhgjkbgvkhbg
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