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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

शैलेष पर हमला लोकतंत्र पर हमला है या कोई साजिश ?

बुधवार रात लगभग 11 बजे कोरबा के निकट सालिहाभाठा के जंगल क्षेत्र में अजित जोगी के सहयोगी एवं राजनैतिक सलाहकार शैलेष नितिन त्रिवेदी पर अज्ञात हमलावरों नें हमला कर दिया । समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार लगभग दर्जन भर हमलावरों नें शैलेष को उनकी स्‍कार्पियो को ओवरटेक कर के रोका और उन्‍हें उतार कर बेदम होते तक पीटा व उन्‍हें मरा समझकर जंगल में छोड गये। 

शैलेष पर हुए हमले की खबर मिलने पर उन्‍हें सुबह पहले कोरबा फिर बिलासपुर अस्‍पताल लाया गया जहां वे आईसीयू में भर्ती हैं । कल दैनिक छत्‍तीसगढ में प्रकाशित समाचार के अनुसार शैलेष नें अपने पास रखे दस लाख रूपये को हमलावरों द्वारा छीन लिए जाने की बात की थी । आज समाचार पत्रों में उक्‍त रकम बीस हजार बतलाई गई है । 

शैलेष नितिन त्रिवेदी उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त, स्‍वच्‍छ छवि के राजनैतिक हैं एवं इंटरनेट में बेहद सक्रिय अकेले छत्‍तीसगढिया राजनैतिज्ञ है । इस हमले के बाद राजनैतिक आरोप प्रत्‍यारोप का दौर आरंभ हो गया है किन्‍तु इन सब से शैलेष का कोई भला नहीं होने वाला, अभी तो उसे दुवा की आवश्‍यकता है । वे जल्‍दी स्‍वस्‍थ होवे यही हमारी एवं उनके मित्र श्री दिलीप गोलछा जी की ईश्‍वर से प्रार्थना है । 


संजीव तिवारी 

टिप्पणियाँ

  1. अफसोसजनक है यह घटना।

    राजनीति कितनी नीचे गिर चुकी है उसका एक छोटा सा उदाहरण है यह।

    छत्तीसगढ़ राज्य बनते ही साथ जो फसल बोई गई थी, वही काटी जा रही है अभी। अब पता करें कि बोई किसने और काट कौन रहा है?

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  2. ईश्वर उन्हे स्वास्थ प्रदान करे और उनके परिवार को अंबल दे इस दुखद स्थिती में !!

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  3. संजीव भाई बहुत दुखद समाचार है। राजनीति में क्यों लोग छुपी चालें चलते हैं। इस तरह राजनीति चलती भी नहीं है।

    जवाब देंहटाएं
  4. क्या बतायें - यह तो कह नहीं सकते कि लोग अपने घरों में रहें और राजनीति से दूर रहें।

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  5. sanjeev ji
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आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

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