विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
खबर है कि छत्तीसगढ के पूर्व मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी नें कल दुर्ग में प्रेस वार्ता लेकर आरोप लगाया कि दुर्ग लोकसभा की प्रत्यासी सुश्री सरोज पाण्डेय नें अपने वेबसाईट में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू के संबंध में झूठा एवं मनगढंत आरोप लगयाया है । बदरूद्दीन कुरैशी नें आगे कहा कि यह साजिस के तहत् पं.नेहरू पर झूठा आरोप लगा कर नेहरू परिवार को बदनाम करने की कोशिस की जा रही है । उन्होंनें यह भी कहा कि सरोज पाण्डेय की वजूद भी भिलाई स्टील प्लांट के कारण है एवं भिलाई स्टील प्लांट का वजूद पं.नेहरू के कारण है ।
बदरूद्दीन कुरौशी नें यह स्वीकार किया कि वेब साईड एक अंतर्राष्ट्रीय मंच है जिसमें पं. नेहरू को बदनाम किया गया है इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जावेगी एवं कांग्रेस व क्षेत्र की जनता के द्वारा आन्दोलन किया जायेगा।
अब बदरू भईया को कौन समझाये कि कंच कुमारी सरोज पाण्डेय के वेबसाईट के संबंध में बयानबाजी कर वे अप्रत्क्ष रूप से उस साईट का प्रचार कर रहे हैं और अपने स्वाभिमान को ठेस पहुचा रहे हैं ।
पुछल्ला -
एक पूर्व सांसद के खेमे से नेट में सक्रिय मित्र का मजाकिया फोन आया
- भईया क्या सरोज पाण्डेय के बेब साईट को हैक कर उसमें ताराचंद साहू को वोट देने की अपील डाली जा सकती है ?
हमने भी हा हा कहते हुए उस साईट की नब्ज टटोली, कुण्डली पढी सुरक्षा लूपों को चेक किया ।
खतरा बरकरार था, हमने कहा
- भाई अवैधानिक काम करने वाले हैकर जरूर कर सकते हैं जिसके संबंध में मुझे जानकारी नहीं है ।
मित्र और हम दोनो देर तक ठहाका लगाते रहे ।
इस साईट के दीप को अमन से जलने दें क्योंकि दीप तले अंधेरा होता ही है और इसी अंधेरे में अमन चैन से सोता है ।
संजीव तिवारी
जय हो! कम से कम वेब चुनाव में एक औजार तो बना!
जवाब देंहटाएंसरोज पांडे पर नेता होने के चलते नजर गयी होगी वरना अपने हिंदी ब्लॉगर तो अपने मन की भडास निकालने को जाने क्या क्या लिख रहे हैं
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