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अप्रैल, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

शैलेष पर हमला लोकतंत्र पर हमला है या कोई साजिश ?

बुधवार रात लगभग 11 बजे कोरबा के निकट सालिहाभाठा के जंगल क्षेत्र में अजित जोगी के सहयोगी एवं राजनैतिक सलाहकार शैलेष नितिन त्रिवेदी पर अज्ञात हमलावरों नें हमला कर दिया । समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार के अनुसार लगभग दर्जन भर हमलावरों नें शैलेष को उनकी स्‍कार्पियो को ओवरटेक कर के रोका और उन्‍हें उतार कर बेदम होते तक पीटा व उन्‍हें मरा समझकर जंगल में छोड गये।  शैलेष पर हुए हमले की खबर मिलने पर उन्‍हें सुबह पहले कोरबा फिर बिलासपुर अस्‍पताल लाया गया जहां वे आईसीयू में भर्ती हैं । कल दैनिक छत्‍तीसगढ में प्रकाशित समाचार के अनुसार शैलेष नें अपने पास रखे दस लाख रूपये को हमलावरों द्वारा छीन लिए जाने की बात की थी । आज समाचार पत्रों में उक्‍त रकम बीस हजार बतलाई गई है ।  शैलेष नितिन त्रिवेदी उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त, स्‍वच्‍छ छवि के राजनैतिक हैं एवं इंटरनेट में बेहद सक्रिय अकेले छत्‍तीसगढिया राजनैतिज्ञ है । इस हमले के बाद राजनैतिक आरोप प्रत्‍यारोप का दौर आरंभ हो गया है किन्‍तु इन सब से शैलेष का कोई भला नहीं होने वाला, अभी तो उसे दुवा की आवश्‍यकता है । वे जल्‍दी स्‍वस्‍थ होवे यही हमारी एवं उनके मित

ऑरकुट में खेल निराले मेरे भैया

पिछले दिनों एक ब्‍लागर साथी व आरकुट मित्र के साथ गंभीर वाकया हो गया। या यूं कहें कि यह वाकया उनके उन सभी आरकुट मित्रों के साथ हो गया जो सुबह दस बजे के लगभग अपना आरकुट स्‍क्रैप खोले। मित्रों नें देखा कि उनका वह गंभीर व शालीन मित्र अपने आरकुट प्रोफाईल में नंगी स्‍त्री का तस्‍वीर लगाया है और जहां जहां उसने स्‍क्रैप किया था वहां वहां वह भद्दी तस्‍वीर उपस्थित होकर स्‍क्रैप की बैंड बजा रहा है । खैर मित्र नें गलती मानी और बाकायदा क्षमायाचना के स्‍क्रैप भेजे साथ ही तस्‍वीर भी बदली। धर्नुधर का तीर निशाने से चूक गया था प्रत्‍यंचा ढीली छोडने का यह नतीजा था । इसलिए भाइयों हमेशा जागते रहो और खासकर जब देर रात तक फिरंगी मेमों से चेतियाने की आदत हो तब तो और भी, पासवर्ड चोर, लेख चोर और मन के चोर सभी इस नेट जगत में सक्रिय है । साथ ही  I पी और आई D ट्रैकर और दुसरे गोपनीय तकनीक आपके सभी सच झूठ को उजागर करने के लिए भी तैयार रहते है !  

दानवीर दाउ कल्‍याण सिंह : छत्‍तीसगढ के अनमोल रतन

दान की परम्‍परा छत्‍तीसगढ में सदियों से रही है। वैदिक काल में दानवीर राजा मोरध्‍वज की कर्मस्‍थली इस प्रदेश में अनेकों दानवीरों नें जन्‍म लिया है । इन्‍हीं दानवीरों में दतरेंगा, भाटापारा में जन्‍में दाउ कल्‍याण सिंह का नाम संपूर्ण प्रदेश में आदर के साथ लिया जाता है । दाउ कल्‍याण सिंह के दान से सुवासित छत्‍तीसगढ के शिक्षा व चिकित्‍सा सेवा के क्षेत्र आज भी पुष्पित व पल्‍लवित हैं । समाज सेवा के अन्‍य क्षेत्रों में भी दाउ कल्‍याण सिंह जी का योगदान सदैव याद रखा जाने वाला रहा है । आज रायपुर प्रदेश का प्रशासनिक महकमा जिस छाव तले सुकून से एयरकंडीशनरों की हवा में शासन चला रहा है वह भवन भी दाउ कल्‍याण सिंह के दान में दी गई राशि से बनवाई गई है । छत्‍तीसगढ शासन का मंत्रालय आज जिस भवन में स्‍थापित है वह पहले चिकित्‍सा सुविधाओं से परिपूर्ण भव्‍य डीके हास्‍पीटल हुआ करता था जहां छत्‍तीसगढ के दूर दूर गांव-देहात व शहरों से लोग आकर नि:शुल्‍क चिकित्‍सा सेवा का लाभ उठाते थे जो संपूर्ण छत्‍तीसगढ में एकमात्र आधुनिक चिकित्‍सा का केन्‍द्र था । इस हास्‍पीटल के निर्माण के लिए दाउ कल्‍याण सिंह नें सन् 1944 में एक

होसियार खबरदार आपका बेबसाईट हैक हो सकता है

खबर है कि छत्‍तीसगढ के पूर्व मंत्री बदरूद्दीन कुरैशी नें कल दुर्ग में प्रेस वार्ता लेकर आरोप लगाया कि दुर्ग लोकसभा की प्रत्‍यासी सुश्री सरोज पाण्‍डेय नें अपने वेबसाईट में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं.जवाहर लाल नेहरू के संबंध में झूठा एवं मनगढंत आरोप लगयाया है । बदरूद्दीन कुरैशी नें आगे कहा कि यह साजिस के तहत् पं.नेहरू पर झूठा आरोप लगा कर नेहरू परिवार को बदनाम  करने की कोशिस की जा रही है । उन्‍होंनें यह भी कहा कि सरोज पाण्‍डेय की वजूद भी भिलाई स्‍टील प्‍लांट के कारण है एवं भिलाई स्‍टील प्‍लांट का वजूद पं.नेहरू के कारण है ।  बदरूद्दीन कुरौशी नें यह स्‍वीकार किया कि वेब साईड एक अंतर्राष्‍ट्रीय मंच है जिसमें पं. नेहरू को बदनाम किया गया है इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जावेगी एवं कांग्रेस व क्षेत्र की जनता के द्वारा आन्‍दोलन किया जायेगा।  अब बदरू भईया को कौन समझाये कि कंच कुमारी सरोज पाण्‍डेय के वेबसाईट के संबंध में बयानबाजी कर वे अप्रत्‍क्ष रूप से उस साईट का प्रचार कर रहे हैं और अपने स्‍वाभिमान को ठेस पहुचा रहे हैं ।  पुछल्‍ला -  एक पूर्व सांसद के खेमे से नेट में सक्रिय मित्र का मजाक

सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार ब्‍लागर डॉ.चंद्रकुमार जैन

एक अप्रैल को प्रकाशित छत्‍तीसगढ के एक समाचार पर बरबस निगाहें जम गई क्‍योंकि समाचार हमारे ब्‍लाग जगत के प्रिय, राष्ट्रपति-पदक एवं छत्तीसगढ़ राज्य शिखर सम्मान से विभूषित  डॉ.चंद्रकुमार जैन जी से संबंधित था । डॉ.जैन के ब्‍लाग का अवलोकन मैं उनके दूसरे पोस्‍ट से ही कर चुका था उसके बाद मेरे नेट पर सक्रिय रहने तक लगभग प्रत्‍येक दिन मैं उनके ब्‍लाग का अवलोकन करता था एवं अपेक्षा करता था कि उनकी टिप्‍पणी मुझे मिले, उनकी दो चार टिप्‍पणिया मुझे आर्शिवाद के रूप में प्राप्‍त भी हुई हैं फिर मैं अनियमित रहने लगा सो उनके ब्‍लाग का अवलोकन नियमित नहीं कर पाया । उनके संबंध में मुझे पहले-पहल संजीत त्रिपाठी जी नें यह जानकारी दी कि वे उनके पुराने पोस्‍टों पर भी टिप्‍पणियां कर रहे हैं और संजीत जी नें मुझसे उनका फोन नम्‍बर भी मांगा, किन्‍तु मैं इन मामलों में बिल्‍कुल मस्‍त मौला हूं ब्‍लागों के उदगम समय से निरंतर अवलोकन करने के बावजूद भी ब्‍लागर से तात्‍कालिक संबंध बना पाने में किंचित सुस्‍त । अत: मेरे पास उनका नम्‍बर नहीं था । बाद में संजीत जी को उनका नम्‍बर भी मिला और अजीत वडनेरकर सहित सभी ब्‍लाग मित्रों से

छत्‍तीसगढ में ब्‍लागिया क्रांति

हिन्‍दी ब्‍लागों के द्वारा वैचारिक विमर्श की संभावना के संबंध में लगातार ब्‍लागों में लिखा जा रहा है और ब्‍लाग की इस शक्ति का अंदाजा अब सबको नजर आने लगा है । राजनैतिक हलकों में  भी इस प्रभावशाली माध्‍यम को भुनाने का जुगाड तोड अब आरंभ हो गया है । हाईटेक प्रचार माध्‍यमों के रूप में राजनैतिक दलों के वेब पेज पहले भी अस्तित्‍व में थे जिन्‍हें हाईलाईट करने व उन साईटों में ट्रैफिक बढानें के लिए एडसेंस का भरपूर उपयोग वर्तमान में किया जा रहा है । वेब पेजों के साथ ही प्रत्‍याशियों के ब्‍लाग भी नजर आ रहे हैं, इसी क्रम में छत्‍तीसगढ के रायपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्‍याशी भूपेश बघेल का ब्‍लाग अचानक अस्तित्‍व में आया है । हम आशा करते हैं कि भूपेश का यह ब्‍लाग चिरंतन रहे । वैचारिक रूप से जहां तक मैं उन्‍हें जानता हूं इसके अनुसार से वे अध्‍ययनशील व्‍यक्ति है, साहित्‍य  से  उनका जुडाव  रहा है  इस कारण से वे यदि अपने इस दायित्‍व को निभाने का सोंचें तो महीने में आठ दस पोस्‍ट स्‍वयं लिख सकते हैं । पिछले विधानसभा चुनाव में बृजमोहन अग्रवाल   का ब्‍लाग आरंभ हुआ था जिसके संबंध में प्रिंट मीडिया नें