विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
अंक 2, सितम्बर 2008
इस अंक में -
अनकही : ...पीने को एक बूंद भी नहीं
संस्मरण / उफनती कोसी को देख याद आई शिवनाथ नदी की वह बाढ़ - संजीव तिवारी
पर्यावरण/ सिक्के का दूसरा पहलू प्लास्टिक का कोई विकल्प है? - नीरज नैयर
बदलाव / स्वास्थ्य छत्तीसगढ़ के अनूठे कल्याणी क्लब - स्वप्ना मजूमदार
कला / अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाज का हिस्सा है कलाकृति - संदीप राशिनकर
समाज / मैती आंदोलन जहां प्रेम का पेड़ लगाते हैं दूल्हा दुल्हन -प्रसून लतांत
रिश्ते / जैसे को तैसा वसीयत में ठेंगा - डॉ. रत्ना वर्मा
सपने में / बस्तर का सच यह केवल स्वप्न नहीं था - राजीव रंजन प्रसाद
आपके पत्र / इन बाक्स
उदंती.com का विमोचन
उत्पादन / फलों का सरताज हिमाचल का काला सोना - अशोक सरीन
कविता : जीवन का मतलब - बालकवि बैरागी
रंग बिरंगी दुनिया
रमन सरकार की कामयाबी पर विशेष पृष्ठ
इस अंक में -
अनकही : ...पीने को एक बूंद भी नहीं
संस्मरण / उफनती कोसी को देख याद आई शिवनाथ नदी की वह बाढ़ - संजीव तिवारी
पर्यावरण/ सिक्के का दूसरा पहलू प्लास्टिक का कोई विकल्प है? - नीरज नैयर
बदलाव / स्वास्थ्य छत्तीसगढ़ के अनूठे कल्याणी क्लब - स्वप्ना मजूमदार
कला / अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समाज का हिस्सा है कलाकृति - संदीप राशिनकर
समाज / मैती आंदोलन जहां प्रेम का पेड़ लगाते हैं दूल्हा दुल्हन -प्रसून लतांत
रिश्ते / जैसे को तैसा वसीयत में ठेंगा - डॉ. रत्ना वर्मा
सपने में / बस्तर का सच यह केवल स्वप्न नहीं था - राजीव रंजन प्रसाद
आपके पत्र / इन बाक्स
उदंती.com का विमोचन
उत्पादन / फलों का सरताज हिमाचल का काला सोना - अशोक सरीन
कविता : जीवन का मतलब - बालकवि बैरागी
रंग बिरंगी दुनिया
रमन सरकार की कामयाबी पर विशेष पृष्ठ
"thanks for the link given'
जवाब देंहटाएंregards
आभार जानकारी के लिए.
जवाब देंहटाएंरत्ना जी को बधाई और आपका भी आभार जानकारि देने के लिये।
जवाब देंहटाएंपढना आरंभ किया है!!आभार
जवाब देंहटाएंडा.रत्ना वर्मा जी को पत्रिका के लिये बधाई/आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें/
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