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छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

त्रिलोचन : किवदन्ती पुरूष

दिसम्‍बर में कवि त्रिलोचन के देहावसान होने के बाद से श्रद्धांजली-गोष्ठियों में त्रिलोचन जी की कृतियों व उन पर केन्द्रित ग्रंथो पर लगातार चर्चा होती रही । सृजनगाथा का ताजा अंक कवि त्रिलोचन पर परिपूर्ण आया, हमारे ब्‍लागर्स भाईयों नें भी कवि त्रिलोचन पर जम कर लिखा, इन्‍हीं दिनों हमारे कुछ मित्रों नें दुर्ग से प्रकाशित व प्रतिष्ठित साहित्तिक पत्रिका ‘सापेक्ष’ (अनियतकालीन) के त्रिलोचन अंक पर हमारा ध्‍यान आर्कषित कराया । हमारे दुर्ग निवास के संग्रह में यह कृति उपलब्‍ध नहीं थी अत: हम सापेक्ष के संपादक डॉ.महावीर अग्रवाल जी के पास पहुचे, हमारी किस्मत थी जो यह कृति वहां से प्राप्‍त हो गई । हमारे अनुरोध पर डॉ.महावीर अग्रवाल जी नें बताया कि इस ग्रंथ की कुछ प्रतियां अभी उपलब्‍ध हैं अत: हम सुधी हिन्‍दी ब्‍लागर्स भाईयों के त्रिलोचन स्‍नेह को देखते हुए, इसमें संकलित विषय सामाग्री से संबंधित संक्षिप्‍त विवरण यहां प्रस्‍तुत कर रहे हैं ।

डॉ.महावीर अग्रवाल द्वारा संपादित ‘सापेक्ष’ का यह त्रिलोचन विशेषांक 1998 में प्रकाशित हुआ था । 760 पन्‍नो में विस्‍तृत इस पत्रिका को हार्डबाउंड कर एक ग्रंथ (‘त्रिलोचन: किवदन्‍ती पुरूष’) का रूप देते हुए पाठकों, साहित्‍यानुरागियों व शोधार्थियों के अनुरोध को तदसमय में पूरा किया गया था । साहित्‍यकारों का मानना है कि इस ग्रंथ में त्रिलोचन के संबंध में विस्‍तृत एवं संपूर्ण सामाग्री का समावेश किया गया है, यह हिन्‍दी साहित्‍य संसार में एक संग्रहणीय ग्रंथ है ।

विषय सामाग्री :-

त्रिलोचन जी के हाथ से लिखी गई कविता ‘और क्‍या चाहिए’ की पाण्‍डुलिपि । अवधि सानेट, शैतान और इन्‍सान (कविता नाटक) त्रिलोचन की कवितायें

छायावाद पर एवं निराला पर त्रिलोचन का व्‍याख्‍यान, श्रेष्‍ठ और लोकप्रिय कविता, एक दृष्टि में अनेक व्‍यक्ति, काव्‍य और अर्थबोध त्रिलोचन के लेख, डायरी, पत्र एंव त्रिलोचन की कलम से और बहुत कुछ ।
संस्‍मरण : भगवान सिंह, प्रकाश मनु, डॉ.कांति कुमार जैन । साक्षात्‍कार : कुंवरपाल सिंह व रतेश रावत, शिव कुमार मिश्र, प्रो.जैदी ।

शिवमंगल सिंह सुमन, प्रेम शंकर, काशीनाथ सिंह व लाल बहादुर सिंह की नजर में त्रिलोचन । विष्‍णुचंद्र शर्मा, राममूर्ति त्रिपाठी, रामदशरथ मिश्र, राजकुमार सैनी, सुधीश पचौरी, वीरेन्‍द्र सिंह, जीवन सिंह, कार्मेन्‍द शिशिर, रेवती रमण, विश्‍वेश, डॉ.कृष्‍णबिहारी मिश्र, नरेन्‍द्र पुण्‍डरीक व डॉ.अवधेश प्रधान के त्रिलोचन पर लेख

हरिवंशराय के संयोजन में डॉ.शिवकुमार मिश्र, डॉ.विश्‍वनाथ त्रिपाठी, डॉ.कर्णसिंह चौहान, रामनिहाल गुंजन, परमानंद श्रीवास्‍तव, ममता कालिया, कुवरपाल सिंह, गिरधर राठी, प्रभाकर श्रोत्रिय, राजेश जोशी, अरूण कमल, मानबहादुर सिंह व सुल्‍तान अहमद के बीच ‘त्रिलोचन के रचनाकर्म की व्‍यापकता’ पर संपूर्ण परिसंवाद

देवेन्‍द्र सत्‍यार्थी, विजयमोहन सिंह व राजेन्‍द्र आहुति के त्रिलोचन पर संवादत्रिलोचन के पत्र प्रेमलता वर्मा के नाम व अन्‍य । त्रिलोचन पर शमशेर बहादुर सिंह की कविताएं ।
केदारनाथ अग्रवाल, मलयज, फणीश्‍वर नाथ रेणु (अपने अपने त्रिलोचन), कपिलमुनि तिवारी, रामबिलाश शर्मा, चन्‍द्रबली सिंह, चंचल चौहान, पाण्‍डेय नर्मदेश्‍वर सहाय, शिवप्रसाद सिंह, शम्‍भूनाथ मिश्र, दिनेश्‍वर प्रसाद, सोमदत्‍त, पद्मा सचदेव, विजेन्‍द्र की त्रिलोचन पर लेखनी
त्रिलोचन के कृतियों की समीक्षा :- धरती : गजानन माधव मुक्तिबोध, गुलाब और बुलबुल : मजहर इमाम, दिगन्‍त : प्रो.नवल विलोचन शर्मा, देवीशंकर अवस्‍थी, ताप के ताए हुए : केदारनाथ सिंह, शब्‍द : जीवन यदु, उस जनपद का कवि हूं : गोपाल शरण तिवारी, अमोला : मानबहादुर सिंह, तुम्‍हें सौपता हूं : नरेश चंद्राकर, अनकही भी कुछ कहनी है : अमीरचंद्र वैश्‍य, सबका अपना आकाश : डॉ.उषा भटनागर, देश काल : डॉ.दुर्गा प्रसाद अग्रवाल, रोजनामचा : मधुरेश, चैती : डॉ.गोरेलाल चंदेल, फूल नाम है एक : प्रेम दुबे ।

यह पुस्‍तक कुछ पुरानी अवश्‍य हो गई है किन्‍तु इसमें संकलित सामाग्री आज भी नई है । इच्‍छुक हिन्‍दी ब्‍लागर्स साथियों के लिए हमने संपादक महोदय से अनुरोध कर इसका न्‍यूनतम लागत मूल्‍य 502 रू. से 100 रू. करा लिया है यदि आप यह कृति प्राप्‍त करना चाहते हैं तो नीचे दिये गये पते पर शीध्र संपर्क करें ।


सापेक्ष ‍
संपादक : महावीर अग्रवाल
श्री प्रकाशन
ए 14, आदर्शनगर
दुर्ग (छ.ग.) 491003
फोन : 0788 2210234
प्रथम संस्‍करण : 1998
पृष्‍ट संख्‍या : 760
मूल्‍य : 502 रू. (हिन्‍दी ब्‍लागर्स के लिए विशेष मूल्‍य : 100 रू + 30 रू. डाक व्‍यय )

हिन्‍दी ब्‍लाग एवं अन्‍य साईटों में विस्‍तृत त्रिलोचन :

अनहद नाद में , चंद्रभूषण के पहलू में , सृजनगाथा में , एओएल हिन्‍दी में , भास्‍कर में , अनुभूति में , अभिव्‍यक्ति में , डा. मान्‍धाता सिंह के चिंतन में , काकेश की कतरने में , डा.शंकर सोनाले के चौपाल में
, सारथी में , साहित्‍य समाचार में , कृत्‍या में , डॉ.कविता के ब्‍लाग में , सुरभित रचना में , शालिनी जोशी बीबीसी पर , अनुभूति कलश में , हमारा देश तुम्‍हारा देश में , समकालीन जनमत में , कही अनकही में , इष्ट देव सांकृत्यायन के इयता में , उदय प्रकाश में

संजीव तिवारी

टिप्पणियाँ

  1. बन्धु! त्रिलोचन जी पर केन्द्रित इस पुस्तक की जानकारी देकर बहुत अच्छा किया आपने। मेरे ब्लॊग का जो लिंक आपने दिया है, उसके लिए धन्यवाद! किन्तु वह अपेक्षित जानकारी की दृष्टि से सही नहीं है। अच्छा हो कि आप उसके स्थान पर इस http://blog.360.yahoo.com/blog-Lio3gFY6bacEj2CzNoysKv6H.Og-?cq=1

    लिंक का प्रयोग करें। इसके साथ ही आप एक अन्य ब्लॊग का सन्दर्भ http://blog.360.yahoo.com/blog-ovqzzQIjcrWh.r4n0J22i6lWb6SH22S7Xg--?cq=1 भी यहाँ प्रयोग कर सकते हैं।

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  2. ये किताब चाहिये मेरे को..क्या दिल्ली में कहीं उपलब्ध है.

    जवाब देंहटाएं
  3. साधुवाद स्वीकार करें इस जानकारी को यहां उपलब्ध करवाने के लिए!!
    वाकई एक बढ़िया काम किया आपने!

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रिय संजीव

    इस जानकारी से भरे लेख के लिये आभार. सारथी पर टिप्पणी द्वारा इस लेख की सूचना देने के लिये भी आभार !!

    जवाब देंहटाएं
  5. शीर्ष क्रम पर चयनित अन्य ब्लॉग
    http:// sarthi.info


    को

    http://www.Sarathi.info

    कर दें !

    जवाब देंहटाएं
  6. बढिया जानकारी है। मै अपने मित्रो को यह लिंक भेज रहा हूँ।

    जवाब देंहटाएं

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आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

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