विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
छटते ही नहीं बादल
किरणों को देते नहीं रास्ता
उमड़ घुमड़ कर
गरज बरस कर
सोख लेते ध्वनि सारी
बजती ही नहीं पायल
स्मृति का देती नहीं वास्ता
सिसक झिझक कर
कसक तड़फ कर
रोक लेती चीख सारी
दिल ही नहीं कायल
खुशबू ऐसी फैली वातायन में
निरख परख कर
बहक महक कर
टोक देती रीत सारी
दिखता ही नहीं काजल
चाँदनी ऐसी बिखरी उपवन में
घूम घूम कर
चूम चूम कर
रो लेती नींद सारी
तुम नहीं हो पास
आज चाँद बहुत उदास है
- अशोक सिंघई -
किरणों को देते नहीं रास्ता
उमड़ घुमड़ कर
गरज बरस कर
सोख लेते ध्वनि सारी
बजती ही नहीं पायल
स्मृति का देती नहीं वास्ता
सिसक झिझक कर
कसक तड़फ कर
रोक लेती चीख सारी
दिल ही नहीं कायल
खुशबू ऐसी फैली वातायन में
निरख परख कर
बहक महक कर
टोक देती रीत सारी
दिखता ही नहीं काजल
चाँदनी ऐसी बिखरी उपवन में
घूम घूम कर
चूम चूम कर
रो लेती नींद सारी
तुम नहीं हो पास
आज चाँद बहुत उदास है
- अशोक सिंघई -
वाह क्या कहने। अशोक जी और आपको बहुत धन्यवाद इस प्रस्तुति के लिये। आरम्भ की गति कुछ कम हो गई है। उम्मीद है जल्दी ही आपको उसी चिरपरिचित ऊर्जा के साथ देख पायेंगे हम सब।
जवाब देंहटाएंसुंदर कविता. वाह! वाह!!
जवाब देंहटाएंसुंदर!!!
जवाब देंहटाएंआरंभ का तो हुलिया ही बदल दिया आपने!!
बढ़िया लग रहा है!!
सुन्दर लयबद्ध कविता है.
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत सुन्दर लयबद्ध कविता!
जवाब देंहटाएंस्वयं शून्य