विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
लेखक : प्रो. अश्विनी केशरवानी
प्रथम संस्करण : फरवरी 2007
मूल्य : 120 रूपये
प्रिंट प्रकाशक : बिलासा प्रकाशन, बिलासपुर
वेब ब्लाग प्रकाशन : संजीव तिवारी
अनुक्रमणिका
भूमिका
शिवरीनारायण : एक नजर
अ. देवालय
१. गुप्तधाम
२ शबरीनारायण और सहयोगी देवालय
३ अन्नपूर्णा मंदिर
४ महेश्वरनाथ
५ शबरी मंदिर
६ जनकपुर के हनुमान
७ खरौद के लखनेश्वर
ब. परम्पराएं
१. मोक्षदायी चित्रोत्पलागंगा
२. महानदी में अस्थि विसर्जन
३. महानदी के घाट
४. महानदी के हीरे
५. शिवरीनारायण की कहानी और उसी की जुबानी
६. मठ और महंत परंपरा
७. गादी चौरा पूजा
८. रोहिणी कुंड
९. मेला
१०. रथयात्रा
११. नाट्य परंपरा
१२. तांत्रिक परंपरा
१३. साहित्यिक तीर्थ
१४. शिवरीनारायण के भोगहा
१५. गुरू घासी बाबा
१६. रमरमिहा
१७. माखन वंशनुक्रम
अनुक्रमणिका
भूमिका
शिवरीनारायण : एक नजर
अ. देवालय
१. गुप्तधाम
२ शबरीनारायण और सहयोगी देवालय
३ अन्नपूर्णा मंदिर
४ महेश्वरनाथ
५ शबरी मंदिर
६ जनकपुर के हनुमान
७ खरौद के लखनेश्वर
ब. परम्पराएं
१. मोक्षदायी चित्रोत्पलागंगा
२. महानदी में अस्थि विसर्जन
३. महानदी के घाट
४. महानदी के हीरे
५. शिवरीनारायण की कहानी और उसी की जुबानी
६. मठ और महंत परंपरा
७. गादी चौरा पूजा
८. रोहिणी कुंड
९. मेला
१०. रथयात्रा
११. नाट्य परंपरा
१२. तांत्रिक परंपरा
१३. साहित्यिक तीर्थ
१४. शिवरीनारायण के भोगहा
१५. गुरू घासी बाबा
१६. रमरमिहा
१७. माखन वंशनुक्रम
अरे जियो संजीव - क्या मेहनत का काम किया है! मान गये! अब पढ़ेंगे समय निकाल-निकाल कर।
जवाब देंहटाएंबधाई।
ज्ञान भईया, आपलोगों के इसी आर्शिवाद से मेरा उत्साह बढता है एवं श्रम सार्थक हो जाता है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंसंजीव तिवारी
संजीव, भैया बहुत मेहनत का काम किए हो...आज भूमिका पढ़कर जा रहा हूँ, लेकिन वापस आकर सब कुछ पढूंगा...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद भाई,
जबरदस्त!!!!
जवाब देंहटाएंवाकई एक मेहनत का काम किया है भैय्या आपने!!
समय निकाल निकाल कर पढ़ना होगा इन्हें तो!!
निश्चित ही आपने बहुत बडा कार्य कर दिया है। कही पर कापीराइट सूचना भी डाले अन्यथा चुराने वाले की नजर से इस अमूल्य कृति को बचा पाना मुश्किल होगा।
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