डॉ.परदेशीराम वर्मा की पत्रिका 'अगासदिया-27' का संपूर्ण नेट संस्‍करण सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

डॉ.परदेशीराम वर्मा की पत्रिका 'अगासदिया-27' का संपूर्ण नेट संस्‍करण



- विशेष सामग्री -

छत्तीसगढ़ की बेटी भगवान श्री राम की माता कौशल्या के मंदिर से गौरवान्वित

सौ तालाबों का गांव चंदखुरी और सांसद श्री रमेश बैस

धरसींवा विधानसभा क्षेत्र का यशस्वी गांव पथरी और जागृत विधायक श्री देवजी भाई पटेल


सहयोग राशि : सौ रुपये मात्र

मुद्रक : यूनिक, पंचमुखी हनुमान मंदिर के पीछे, मठपारा, दुर्ग (छ.ग.) ०७८८-२३२८६०५


मुख-पृष्ठ सज्जा सौजन्य - नेलशन कला गृह, सेक्टर-१, भिलाई

नेट ब्‍लाग वेब प्रकाशन : संजीव तिवारी
अनुक्रमणिका :-

१.
संपादकीय
२. संत पवन दीवान और जीवन संदेश
३. श्री रमेश बैस
४. श्री देवजी भाई पटेल
५. संत कवि पवन दीवान की पांच छत्तीसगढ़ी कविताएं
अ. राख
ब. जिवलेवा जाड़
स. सांझ
द. महानदी
ड. तोर धरती
५. दीवान जी के प्रवचन की क्षेपक कथाएं
अ. जनप्रिय संत पवन दीवान और प्रवचन की क्षेपक कथाएं
(माता पार्वती ने जलाई लंका)
ब. संत पवन दीवान के प्रवचन की रोचक कथाएं
६. संत कवि पवन दीवान का गद्य -
अ. भाषा की जीत सुनिश्चित है छत्तीसगढ़ी से बना छत्तीसगढ़ राज्य
- पवन दीवान
ब. मोरारजी, चरन, मधु, जार्ज साक्षात्कार : सुधीर सक्सेना
स. मेरे प्रिय लेखक डॉ. परदेशीराम वर्मा
द. छत्तीसगढ़ी संस्कृति का जन-जन तक प्रसार जरुरी-पवन दीवान
ड. हम घर में भटके हैं, कैसे ठौर ठिकाने पायेंगे।
७. संत की दो हिन्दी कविताएं -
अ. शोषण की रोशनी
ब. जब तक हम जलते हैं
८. छत्तीसगढ़ की पहचान - संत कवि पवन दीवान
९. माता राजिम, सबरी, बिलासा और उनकी छत्तीसगढ़ी भाषा
१०. १२ अगस्त को हरि ठाकुर सम्मान २००७ से विभूषित होने के अवसर पर विशेष
११. याद - ए - दीवान
१२. महात्मा गांधी - जमुना प्रसाद कसार
१३. समीक्षा :-
अ. आवा मेरी दृष्टि में - दानेश्वर शर्मा
ब. छत्तीसगढ़ी अस्मिता - आशुतोष
स. औरत खेत नहीं - रवि श्रीवास्तव
१४. आयोजन :-
अ. डॉ. परदेशीराम वर्मा की षष्ठिपूर्ती संपन्न
ब. लिमतरा के सियान श्री तेजराम मढ़रिया को सम्मान
स. डॉ. खूबचंद बघेल अगासदिया सम्मान ०७ श्री कोदूराम वर्मा को प्रदत्त
१५. राजिम के देवालय (संत पवन दीवान की साधना स्थली)
१६. देश के नक्शे पर उभरता एक नया कुंभ स्थल राजिम
१७. संत कवि पवन दीवान को अत्यंत प्रिय नेलसन कलागृह में संत समागम
१८. अगासदिया यात्रा एवं उपलब्धि
१९. पत्र एक

टिप्पणियाँ

  1. आरंभ में डॉ.परदेशीराम वर्मा की पत्रिका 'अगासदिया-27' के संपूर्ण ब्‍लाग संस्‍करण को देखकर अच्छा लगा . खुशी हुई बधाई.


    डॉ. रत्ना वर्मा

    जवाब देंहटाएं
  2. agasdiya 27 ke blog sanskaran dekhkar achchha laga, es prayash ke liye badhai.
    prof. ashwini kesharwani

    जवाब देंहटाएं
  3. गज़ब!! आपके प्रयासों की सराहना करनी होगी!! किसी पत्रिका का ब्लॉग संस्करण तैयार करना एक धैर्यपूर्ण, समय लेने वाला और बड़ी मेहनत का काम है!! साधुवाद!!
    पवन दीवान जी की "राख" कविता जितनी पठन में प्रभावी है उससे कहीं ज्यादा स्वयं पवन दीवान जी के मुंह से सुनने में है। कई साल पहले एक कवि सम्मेलन में अर्धरात्रि को इसे सुनने का मौका मुझे मिला था, अद्भुत अनुभव!!!

    शुक्रिया!!

    जवाब देंहटाएं
  4. भैया दाद देनी होगी आपके भगीरथ प्रयत्नों पर। इतनी ऊर्जा कहां से लाते हो!

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों का स्वागत है. (टिप्पणियों के प्रकाशित होने में कुछ समय लग सकता है.) -संजीव तिवारी, दुर्ग (छ.ग.)

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भट्ट ब्राह्मण कैसे

यह आलेख प्रमोद ब्रम्‍हभट्ट जी नें इस ब्‍लॉग में प्रकाशित आलेख ' चारण भाटों की परम्परा और छत्तीसगढ़ के बसदेवा ' की टिप्‍पणी के रूप में लिखा है। इस आलेख में वे विभिन्‍न भ्रांतियों को सप्रमाण एवं तथ्‍यात्‍मक रूप से दूर किया है। सुधी पाठकों के लिए प्रस्‍तुत है टिप्‍पणी के रूप में प्रमोद जी का यह आलेख - लोगों ने फिल्म बाजीराव मस्तानी और जी टीवी का प्रसिद्ध धारावाहिक झांसी की रानी जरूर देखा होगा जो भट्ट ब्राह्मण राजवंश की कहानियों पर आधारित है। फिल्म में बाजीराव पेशवा गर्व से डायलाग मारता है कि मैं जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय हूं। उसी तरह झांसी की रानी में मणिकर्णिका ( रानी के बचपन का नाम) को काशी में गंगा घाट पर पंड़ितों से शास्त्रार्थ करते दिखाया गया है। देखने पर ऐसा नहीं लगता कि यह कैसा राजवंश है जो क्षत्रियों की तरह राज करता है तलवार चलता है और खुद को ब्राह्मण भी कहता है। अचानक यह बात भी मन में उठती होगी कि क्या राजा होना ही गौरव के लिए काफी नहीं था, जो यह राजवंश याचक ब्राह्मणों से सम्मान भी छीनना चाहता है। पर ऊपर की आशंकाएं निराधार हैं वास्तव में यह राजव

दे दे बुलउवा राधे को : छत्तीसगढ में फाग 1

दे दे बुलउवा राधे को : छत्‍तीसगढ में फाग संजीव तिवारी छत्तीसगढ में लोकगीतों की समृद्ध परंपरा लोक मानस के कंठ कठ में तरंगित है । यहां के लोकगीतों में फाग का विशेष महत्व है । भोजली, गौरा व जस गीत जैसे त्यौहारों पर गाये जाने लोक गीतों का अपना अपना महत्व है । समयानुसार यहां की वार्षिक दिनचर्या की झलक इन लोकगीतों में मुखरित होती है जिससे यहां की सामाजिक जीवन को परखा व समझा जा सकता है । वाचिक परंपरा के रूप में सदियों से यहां के किसान-मजदूर फागुन में फाग गीतों को गाते आ रहे हैं जिसमें प्यार है, चुहलबाजी है, शिक्षा है और समसामयिक जीवन का प्रतिबिम्ब भी । उत्साह और उमंग का प्रतीक नगाडा फाग का मुख्य वाद्य है इसके साथ मांदर, टिमकी व मंजीरे का ताल फाग को मादक बनाता है । ऋतुराज बसंत के आते ही छत्‍तीसगढ के गली गली में नगाडे की थाप के साथ राधा कृष्ण के प्रेम प्रसंग भरे गीत जन-जन के मुह से बरबस फूटने लगते हैं । बसंत पंचमी को गांव के बईगा द्वारा होलवार में कुकरी के अंडें को पूज कर कुंआरी बंबूल की लकडी में झंडा बांधकर गडाने से शुरू फाग गीत प्रथम पूज्य गणेश के आवाहन से साथ स्फुटित होता है - गनपति को म

क्या सफेद फूलो वाले कंटकारी (भटकटैया) के नीचे गडा खजाना होता है?

8 . हमारे विश्वास, आस्थाए और परम्पराए: कितने वैज्ञानिक, कितने अन्ध-विश्वास? - पंकज अवधिया प्रस्तावना यहाँ पढे इस सप्ताह का विषय क्या सफेद फूलो वाले कंटकारी (भटकटैया) के नीचे गडा खजाना होता है? बैगनी फूलो वाले कंटकारी या भटकटैया को हम सभी अपने घरो के आस-पास या बेकार जमीन मे उगते देखते है पर सफेद फूलो वाले भटकटैया को हम सबने कभी ही देखा हो। मै अपने छात्र जीवन से इस दुर्लभ वनस्पति के विषय मे तरह-तरह की बात सुनता आ रहा हूँ। बाद मे वनस्पतियो पर शोध आरम्भ करने पर मैने पहले इसके अस्तित्व की पुष्टि के लिये पारम्परिक चिकित्सको से चर्चा की। यह पता चला कि ऐसी वनस्पति है पर बहुत मुश्किल से मिलती है। तंत्र क्रियाओ से सम्बन्धित साहित्यो मे भी इसके विषय मे पढा। सभी जगह इसे बहुत महत्व का बताया गया है। सबसे रोचक बात यह लगी कि बहुत से लोग इसके नीचे खजाना गडे होने की बात पर यकीन करते है। आमतौर पर भटकटैया को खरपतवार का दर्जा दिया जाता है पर प्राचीन ग्रंथो मे इसके सभी भागो मे औषधीय गुणो का विस्तार से वर्णन मिलता है। आधुनिक विज्ञ