विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों
लालकिला और ऋगवेद विश्व धरोहर की सूची में
ताज को विश्व के सात अजूबों में पहला स्थान मिलने के बाद जब यूनेस्कों ने दिल्ली के प्रसिद्ध लालकिले को विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया है यह भारत के लिये गौरव का विषय है । भारतीय प्राचीन संस्कृति की एक और धरोहर ऋगवेद को यूनेस्को ने विश्व की धरोहर के रूप में स्वीकार किया है । विश्व की प्राचीन संस्कृतियों की साहित्यिक धरोहरों का खाता रखने वाले यूनेस्को के विश्व मेमोरी रिकॉर्ड में ऋगवेद की 30 पाण्डूलिपियों को शामिल किया गया है । यह हर भारतीयों के लिये गर्व की बात है ।
क्रूज पर्यटन का तेजी से बढता आकर्षण
नौका विहार के माध्यम से जल क्रीडाओं का आनंद अब तेजी से बढते हुए औद्योगिकीकरण के चलते धुंधला पडते जा रहा है । भारत सरकार क्रूज टूरिज्म को बढावा देने एवं विदेशी पर्यटकों के साथ साथ घरेलू पर्यटकों को भी आकर्षित करने के लिये कई कदम उठाने जा रही है ।
देश में साढे सात हजार किलोमीटर लम्बी तट रेखा पर बसे लगभग दो सौ बंदरगाह शीध्र ही पोत विहार के जरिये अपनी कमाई में इजाफा करेगा । पर्यटन मंत्रालय ने वर्ष 2010 तक हर साल दस लाख क्रूज पर्यटकों का लक्ष्य निर्धारित किया है । वर्तमान में लगभग 50 हजार पर्यटक प्रतिवर्ष क्रूज के माध्यम से भारत के विभिन्न बंदरगाह में आते हैं । इस बढते पर्यटक यातायात में वृद्धि से क्षेत्र के लिये रोजगार उपलब्ध हो सकेगा ।
देश में तेजी से बढते हुए पूंजीपतियों से भी इस पर्यटन के नये रूवरूप में जान आने की पूरी संभावना है । क्रूज शिपिंग को विकसित किये जाने हेतु पश्चिमी एवं पूर्वी तट को एक विशेष क्रूज सरकिट बनाया जा रहा है । यह सर्किट मुम्बई, गोवा, कोच्चि से लेकर पूर्व में तूति कोरिन बंदरगाह का होगा ।
देश के प्रमुख बंदरगाहों को विश्व स्तरीय मानकों के अनुरूप बनाने के लिये पर्यटन मंत्रालय कुल लागत का एक चौथाई या 40 करोड में से जो कम होगा अनदान देगा । इस तरह से क्रूज टूरिज्म के यातायात में वृद्धि कर भारत सरकार पर्यटन उद्योग में पूंजी निवेश को बढावा देने एक क्रांतिकारी कदम उठा रही है।
रोचक जानकारी।
जवाब देंहटाएंमै पूरी जानकारी मे छ्त्तीसग़ढ तलाश रहा था। आशा है अपने राज्य की धरोहरो के विषय मे भी विश्व सुध लेगा।
"लालकिला और ऋगवेद विश्व धरोहर की सूची में"
जवाब देंहटाएंयह खबर हर भारतीय के लिये गर्व की बात है -- शास्त्री जे सी फिलिप
जिस तरह से हिन्दुस्तान की आजादी के लिये करोडों लोगों को लडना पडा था, उसी तरह अब हिन्दी के कल्याण के लिये भी एक देशव्यापी राजभाषा आंदोलन किये बिना हिन्दी को उसका स्थान नहीं मिलेगा.
धरोहर मानने वालों का सम्मान बढ़ा!
जवाब देंहटाएंगर्व तो होगा ही !!
जवाब देंहटाएंपर हम धरोहर मान कर खुश हो लेते है और भूल जाते हैं, गांधीवाद हमारी धरोहर हैं इसके बाद???
शुक्रिया इन दोनो खबरों के लिए!!