24 सितम्‍बर विश्‍व हृदय दिवस : क्‍या धडकता है आपका भी दिल सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

छत्‍तीसगढ़ की कला, साहित्‍य एवं संस्‍कृति पर संजीव तिवारी एवं अतिथि रचनाकारों के आलेख

लूट का बदला लूट: चंदैनी-गोंदा

  विजय वर्तमान चंदैनी-गोंदा को प्रत्यक्षतः देखने, जानने, समझने और समझा सकने वाले लोग अब गिनती के रह गए हैं। किसी भी विराट कृति में बताने को बहुत कुछ होता है । अब हमीं कुछ लोग हैं जो थोड़ा-बहुत बता सकते हैं । यह लेख उसी ज़िम्मेदारी के तहत उपजा है...... 07 नवम्बर 1971 को बघेरा में चंदैनी-गोंदा का प्रथम प्रदर्शन हुआ। उसके बाद से आजपर्यंत छ. ग. ( तत्कालीन अविभाजित म. प्र. ) के लगभग सभी समादृत विद्वानों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समीक्षकों, रंगकर्मियों, समाजसेवियों, स्वप्नदर्शियों, सुधी राजनेताओं आदि-आदि सभी ने चंदैनी-गोंदा के विराट स्वरूप, क्रांतिकारी लक्ष्य, अखण्ड मनभावन लोकरंजन के साथ लोकजागरण और लोकशिक्षण का उद्देश्यपूर्ण मिशन, विस्मयकारी कल्पना और उसका सफल मंचीय प्रयोग आदि-आदि पर बदस्तूर लिखा। किसी ने कम लिखा, किसी ने ज़्यादा लिखा, किसी ने ख़ूब ज़्यादा लिखा, किसी ने बार-बार लिखा। तब के स्वनामधन्य वरिष्ठतम साहित्यकारों से लेकर अब के विनोद साव तक सैकड़ों साहित्यकारों की कलम बेहद संलग्नता के साथ चली है। आज भी लिखा जाना जारी है। कुछ ग़ैर-छत्तीसगढ़ी लेखक जैसे परितोष चक्रवर्ती, डॉ हनुमंत नायडू जैसों

24 सितम्‍बर विश्‍व हृदय दिवस : क्‍या धडकता है आपका भी दिल





भारत में भी अब कम उम्र के लोग बडी तेजी से हृदयाघात से शिकार हो रहे हैं । भारी तादात में एंजियोग्राफी और बाईपास सर्जरी की जा रही है । बस थोडी सी सतर्कता से रख सकते हैं आप अपने दिल को चुस्‍त दुरूस्‍त ।

दिल का सबसे बडा दुश्‍मन है, स्‍ट्रेस । स्ट्रेस से बचना आसान नहीं है । स्‍ट्रैस के कारण मस्तिष्‍क से जो जैव रसायन स्‍त्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरी प्रणाली को खराब कर देते हैं । स्‍ट्रैस से उबरने में भारतीय पारंपरिक योग चिकित्‍सा सौ प्रतिशत कारगर है ।

स्‍ट्रैस से उबरने में 'भ्रामरी प्राणायाम' एक चमत्‍कार की तरह कार्य करता है । हृदय को स्‍वस्‍थ रखने में ध्‍यान, धारणा प्रार्थना, सत्‍संग, मुद्रा आदि का भारी योगदान है । यह वैज्ञानिक शोधों से साबित हो चुका है कि आध्‍यात्मिक जीवन प्रणाली हृदय को स्‍वस्‍थ रखने की सबसे ठोस गारंटी है । बाईपास एवं एंजियोप्‍लास्‍टी आपको केवल लक्षणो से निजात दिलाती है । यह पुन: हार्ट अटैक नहीं होने की गारंटी नहीं है ।

तो हो जाएं तैयार आज विश्‍व हृदय दिवस है आज से भ्रामरी को अपने नित्‍यकृयाकलाप में कर लेवें शामिल ।




टिप्पणियाँ

  1. अच्छी जानकारी दी. भ्रामरी प्रणायाम शुरु किया जायेगा यथाशीघ्र.

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  2. समीर जी से सहमत। अब एक पोस्ट भ्रामरी प्राणायाम पर आनी चाहिये।

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  3. जानकारी देने का शुक्रिया और हाँ इंतज़ार रहेगा भ्रामरी प्राणायाम वाली पोस्ट का।

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  4. संजीव जी इस खूबसूरत पोस्ट की चर्चा कर डाली गई है।

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  5. आज आपका दिल धड़क रहा है नई पुरानी हलचल में यकीन नही तो खुद ही देखिये...  चर्चा में आज नई पुरानी हलचल

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  6. बहुत ही अच्छी और उपयोगी जानकारी दी आपने।

    सादर

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  7. “सैर और व्यायाम हो, प्रतिदिन पुष्ट ह्रदय
    तन मन आनंदित रहे, रहता स्वस्थ समय”

    सुन्दर आलेख... ह्रदय दिवस पर सबके स्वास्थ्य की कामना....
    सादर...

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  8. ह्दय का क्या करें जी....इमोश्नल अत्याचार तो बहुत हो चुका इस पर ....अब सोच रहे हैं कि बाकी अत्याचार बंद कर दें।

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